सबगुरु न्यूज-आबूरोड। सामाजिक बाध्यताएं, अशिक्षा और गरीबी से फल फूल रही बाल विवाह की कुरीति को आदिवासी और शैक्षणिक रूप से पिछडे आबूरोड क्षेत्र में समूल नाश एक मुश्किल टास्क भले ही नजर आ राह हो लेकिन, कम्युनिटी लाइजनिंग, सोशल लिट्रेसी, लीगल हेल्प से इस क्षेत्र में बाल विवाह रोकने के लिए निरंतर प्रयास किए जाने के मामले निरंतर बढते नजर आ रहे हैं। गैर सरकारी संस्थान जन चेतना संस्थान और जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन की संयुक्त पत्रकार वार्ता में ये बात सामने आई।
संस्थान की निदेशिका सुश्री ऋचा ने कहा कि केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी द्वारा शुरू किए गए ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान विकसित भारत के सपने को पूरा करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। देश की बच्चियों को शिक्षित, सशक्त और आत्मनिर्भर बनाए बिना हम इस सपने को पूरा नहीं कर सकते और बाल विवाह इसमें सबसे बड़ी बाधा है। बाल विवाह की रोकथाम के लिए सभी पक्षों को साथ लेकर चलने और बचाव-संरक्षण एवं अभियोजन नीति पर अमल के मंत्रालय के इस फैसले का हम स्वागत करते हैं। ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन’ का सहयोगी संगठन होने के नाते हम पहले से ही इस रणनीति पर काम करते आ रहे हैं। हमारे लिए यह गर्व की बात है कि हमने इस जिले में जो अभियान शुरू किया था, वह अब राष्ट्रव्यापी अभियान बन गया है।”
पत्रकार वार्ता के दौरान बाल विवाह पीडिता ने बताया कि किस तरह से बाल विवाह होने के कारण उन्हें जीवन में समस्याओं का सामना करना पडा। उन्होंने बताया कि बाल विवाह होने से वह बहुत ही जल्दी मां बन गईं। उनके पति का स्वास्थ्य खराब हो जाने के कारण बच्चों और परिवार की पूरी जिम्मेदारी उन पर आन पडी। उन्होंने बताया कि जल्दी विवाह होने के कारण उनकी शिक्षा अधूरी रह गई, जिससे सम्मानजनक रोजगार मिलने में भी समस्या आई। उन्होंने बताया कि उनको मिली तकलीफ के बाद उन्होंने एक वोलेंटियर के रूप आदिवासी बहुल इलाकों में लोगों को बाल विवाह के लिए जागरूक करना शुरू कर दिया। वहीं पंचायत समिति सदस्य सरमी बाई ने बताया कि उनके समाज में हो रहे बाल विवाह को रोकने के लिए उन्होंने काफी प्रयास किए और आगे बाल विवाह न हो इसके लिए समुदाय के साथ बैठकों में इस मुद्दे पर चर्चा करती रहती हैं। उन्होंने बताया कि इस काम में उन्हें कई बार सामाजिक दबाव को भी झेलना पडता है लेकिन, वे घबराए बिना पंचों और परिवारों को समझाने का काम करती हैं। उन्होंने इस दौरान आने वाली समस्याओं को भी विस्तार से बताया।
इस दौरान बताया कि जन चेतना संस्थान बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए काम कर रहे 250 से ज्यादा गैर सरकारी संगठनों के गठबंधन ‘जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन’ का पुरे भारत में 28 राज्यो में 416 जिलो में 250 सहयोगी संगठन है। परवाज अभियान के तहत बाल विवाह, बाल श्रम और अन्य सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ 485 कार्यक्रम करवाकर 6000 लोगों ने शपथ दिलवाई गई। उन्होंने बताया कि इस दौरान पुरोहितों, मौलवियों, हलवाइयों, रसोइयों, सजावट, बैंड बाजा वालों व शादी का कार्ड छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस के मालिकों जैसे विवाह से जुड़े सभी हितधारकों ने शपथ ली कि वे बाल विवाह संपन्न कराने में किसी भी तरह से भागीदारी नहीं करेंगे और इसकी सूचना तत्काल संबंधित अधिकारियों को देंगे। जन चेतना संस्थान ने स्थानीय प्रशासन के साथ सहयोग व समन्वय से कानूनी हस्तक्षेपों और परिवारों एवं समुदायों को समझा-बुझा कर 500 से अधिक 2023-24 से 2024-25 में जिले में बाल विवाह रुकवाए हैं। इस अभियान में धर्म गुरु को भी अक्षय तिर्तिया के दिवस पर बाल विवाह नहीं करवाने को लेकर भी शपथ लेंगें।