-15 समाजों के 45 जोड़े बंधेंगे परिणय सूत्र में
जयपुर। सेवा भारती समिति जयपुर का 13वां श्रीराम जानकी सर्वजातीय सामूहिक विवाह सम्मेलन अंबावाड़ी स्थित आदर्श विद्या मंदिर में होगा। सेवा भारती समिति राजस्थान के मंत्री गिरधारी लाल शर्मा की अध्यक्षता में आदर्श विद्या मंदिर में बैठक आयोजित कर कार्यकर्ताओं को दायित्वों को जिम्मेदारी सौंपी गई।
सामूहिक विवाह सम्मेलन में 15 समाजों के 45 जोड़े परिणय सूत्र में बंधेंगे। इसमें 38 सजातीय और सात जोड़े अंतरजातीय है। विवाह स्थल पर आयोजन की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। खास बात यह है कि विवाह का आयोजन घर जैसे माहौल में होगा।
प्रचार प्रसार प्रमुख ऋतु चतुर्वेदी ने बताया कि 16 मई को सुबह साढ़े सात बजे सभी मेहमान और जोड़े विवाह स्थल पहुंच जाएंगे। अल्पाहार के बाद स्तंभ पूजन और प्रधान पूजा होगी। इसके बाद सियारामदास बाबा की बगीची से गाजेबाजे के साथ सामूहिक बारात निकासी होगी। सभी दूल्हे अलग-अलग घोडिय़ों पर बैठकर विवाह स्थल पहुंचेंगे। यहां तोरण मारने की रस्म के बाद स्टेज पर वरमाला की रस्म होगी। इसके बाद अलग-अलग वेदियों पर पाणिग्रहण संस्कार होगा। प्रीतिभोज के बाद विदाई समारोह होगा।
श्रीराम जानकी सर्व जातीय सामूहिक विवाह सम्मेलन के संयोजक नवल बगडिय़ा, अध्यक्ष नागरमल अग्रवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. ओमप्रकाश भारती, मंत्री हनुमान सिंह भाटी, कोषाध्यक्ष हरि कृष्ण गोयल, सह संयोजक गिरधारी लाल शर्मा सहित अन्य सभी पदाधिकारी आयोजन की तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं।
उल्लेखनीय है कि सेवा भारती समिति राजस्थान ने सर्वजातीय सामूहिक विवाह सम्मेलन 2010 में भवानी मंडी में शुरू किया था। अब तक राजस्थान के 22 जिलों के 33 स्थानों पर 2375 जोड़ों का विवाह सम्पन्न कराया जा चुका है।
सेवा भारती समिति राजस्थान आर्थिक दृष्टि से पिछड़े, सामाजिक न्याय एवं पहचान से वंचित वर्गों के मध्य, विशेषतया नगरीय क्षेत्रों में अभावग्रस्त बस्तियों, ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करने वाला एक गैर सरकारी संगठन हैं। यह नगरीय झुग्गी-झोंपड़ी, बस्तियों में समाज कल्याण कार्यक्रम जैसे नि:शुल्क शिक्षा, नि:शुल्क, चिकित्सा, कौशल विकास प्रशिक्षण केन्द्रों, सामाजिक समरसता कार्यक्रमों में कार्यरत हैं।
इसलिए पड़ी सामूहिक विवाह सम्मेलन करने की आवश्यकता
सेवा भारती समिति राजस्थान के मंत्री गिरधारी लाल शर्मा ने बताया कि आज जिस तरह से भडक़ीले विवाह समारोहों का चलन है, उन्हें देखते हुए बेटियों का विवाह एक चुनौती से कम नहीं होता। इसीलिए कई परिवारों में लड़कियों को बोझ सदृश मान लिया जाता है और कहीं कहीं तो कोख में ही बच्ची को मार दिया जाता है। झाडिय़ों, नालों और अनाथालय के झूलों में भी अक्सर नवजात कन्याएं ही मिलती हैं। ये नवजातें गरीब ही नहीं संभ्रांत घरानों की भी होती हैं।
कई बार पैसों की कमी के चलते लोग अपनी बेटियों का बेमेल विवाह कर देते हैं और कुछ अयोग्य वर से विवाह करने के बदले वर पक्ष से पैसे वसूलते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो वे बेटी बेच देते हैं। ऐसे में उस लडक़ी को अपनी ससुराल में कितना प्यार और सम्मान मिलता होगा इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। कई बार ऐसा भी होता है कि बेटी अच्छे घर में जाए इसके लिए माता पिता सामथ्र्य से बढक़र खर्च करते हैं इसके लिए वे कर्ज तक ले लेते हैं और फिर पूरी उम्र कर्ज उतारने में निकाल देते हैं।
ऐसे में सेवा भारती की यह पहल सभी समाजों और वर्गों के लिए वरदान साबित हो रही है। इन सम्मेलनों को गरीब या वंचित समाज से ही जोडक़र नहीं देखा जा रहा बल्कि पैसे वाले लोग भी इसे अपना रहे हैं। इससे गरीब अमीर का भेद तो मिट ही रहा है, सामाजिक समरसता की भावना भी बढ़ रही है।