राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय का 17वां स्थापना दिवस
अजमेर। बड़ा वह बनता है, जिसके विचार बड़े होते है, बड़ा वो बनता जो बड़े विचारों और सपनों को खुली आंखों से देखते हुए उन्हें पूरा करने की कोशिश करता है। मुझे खुशी है कि इस विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति और पूर्व कुलपति उन्होंने खुली आंखों से सपना देखकर इस विश्वविद्यालय को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। यह कहना था राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के सत्रहवें स्थापना दिवस समारोह के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष प्रो डीपी सिंह का।
राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के सभागार में सत्रहवां स्थापना दिवस 3 मार्च को भव्य और दिव्य रूप से मनाया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद भालेराव ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत विश्वविद्यालय व स्वागत गीत के साथ हुई।
प्रो सिंह ने आगे कहा कि हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहते हुए इस विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को वैश्विक नागरिक बनाना है और लोक कल्याण और वैश्विक कल्याण के लिए तैयार करना है। विकसित भारत 2047 का सपना जो हमारे प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हम सभी देख रहे है उसको पूरा हमारे शिक्षक और शिक्षण संस्थान ही करेंगे। यह विद्यार्थी ही भारत को विकसित राष्ट्र के रूप में देखेंगे। हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा आज भी विश्व के लिए युगानुकूल है। हमें इस पर गर्व करना चाहिए।
स्थापना दिवस के बारे में बोलते हुए प्रो सिंह ने आगे बताया कि स्थापना दिवस किसी भी विश्वविद्यालय के लिए एक स्वर्णिम इतिहास होता है जिसमे हम अपने अतीत और अपनी उपलब्धियों को याद करते है साथ ही भविष्य के लिए एक रोड मैप तैयार करते है।
प्रो. डीपी सिंह ने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय का परिसर ‘बोलता परिसर’ होना चाहिए, जहां दीवारें स्वयं अपनी कहानी कहें। उन्होंने केंद्रीय विश्वविद्यालय राजस्थान की सराहना करते हुए कहा कि स्वच्छ और हरा-भरा परिसर स्वयं अपनी उत्कृष्टता दर्शाता है। सबसे अधिक प्रशंसा उन्होंने विश्वविद्यालय में बड़ी संख्या में सोलर पैनल और तालाब के बारे में की जो विश्वविद्यालय की ग्रोथ में सहायक सिद्ध होंगे।
उन्होंने विशेष रूप से विश्वविद्यालय के NAAC कक्ष की प्रशंसा की, जहाँ सभी आवश्यक डेटा सुव्यवस्थित रूप से प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने कहा कि यह एक आदर्श प्रणाली है, जिसे अन्य विश्वविद्यालयों को भी अपनाना चाहिए।
प्रो. सिंह ने डिजिटल युग में उत्तरदायी प्रशासन की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय इस दिशा में सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है, जो प्रशंसनीय है। उन्होंने विश्वविद्यालय की प्रगति के लिए कुलपति से लेकर सफाई कर्मियों तक सभी के योगदान को महत्वपूर्ण बताते हुए सभी को बधाई दी।
उन्होंने सभी से आग्रह किया कि हमारे पास सीमित समय और ऊर्जा है, इसलिए हमें अपने समय का सदुपयोग सोच-समझकर सकारात्मक काम में करना चाहिए। शिक्षा का प्रकाश जो आपने फैलाया है उसे निरंतर आगे बढ़ाते रहें। आवश्यक कि हमारे विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास हो, उनका व्यक्तित्व एकाकी न हो, श्रेष्ठ नागरिक बने और आगे चलकर वैश्विक नागरिक की भूमिका निभाएं।
इससे पूर्व समारोह के प्रारंभ में राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आनंद भालेराव ने मुख्य अतिथि प्रो डीपी सिंह और पद्मश्री के लिए नामांकित बेगम बतूल, शिव किशन बिस्सा (शीन काफ़ निज़ाम) का शॉल, भगवद गीता स्मृति चिन्ह और गणेश प्रतिमा के साथ स्वागत किया और समारोह में शामिल होने के लिए उन्हें हृदय से धन्यवाद दिया।
उन्होंने यह बात सभी से साझा की कि शैक्षणिक उत्कृष्टता, अनुसंधान, प्रशासन, आधारभूत सुविधाओं और विद्यार्थियों के समर्थन के आधार पर, वर्ष 2023 में राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय को नैक द्वारा ए++ ग्रेड प्राप्त हुआ है और यूजीसी द्वारा कैटेगरी-1 विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ और हमारे फार्मसी विभाग को NIRF रैंकिंग में 29th स्थान प्राप्त हुआ।
कुलपति ने इस बात पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि हम देश की सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रथम हैं और हमारा विश्वविद्यालय राजस्थान में ए++ मान्यता प्राप्त करने वाला एकमात्र सरकारी विश्वविद्यालय हैं।
उन्होंने कहा कि 17 वर्ष पहले, 3 मार्च 2009 को राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय की आधारशिला 518 एकड़ की बंजर भूमि पर केवल दो पाठ्यक्रमों के साथ रखी गई थी, जिसमें शिक्षा, नवाचार और सामाजिक परिवर्तन के माध्यम से सतत विकास की परिकल्पना की गई थी। आज, स्थापना दिवस के अवसर पर, हम 2972 विद्यार्थियों, 200 संकाय सदस्यों और 186 गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों का एक परिवार हैं। हमारे पास 62 स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रम, 13 स्कूल, 35 विभाग, 396 पीएचडी शोधार्थी हैं और एक पूर्ण रूप से सुसज्जित हरा-भरा आवासीय परिसर है।
विश्वविद्यालय के इंफ्रास्ट्रचर, रिसर्च और एकेडमिक ग्रोथ और नए पाठ्यक्रम के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा करते हुए प्रो भालेराव ने आगे बताया कि विश्वविद्यालय को 11 पेटेंट प्रदान किए गए है तथा 12 दाखिल किए गए है, संकाय सदस्यों ने 31,380 संचयी उद्धरणों के साथ 1156 शोध पत्र प्रकाशित किए। उन्होने आगे बताया कि स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की रिपोर्ट के अनुसार विश्वविद्यालय के 8 संकाय सदस्यों को शीर्ष 2% वैज्ञानिको में शामिल किया गया है।
कुलपति ने आगे बताया कि इस वर्ष विश्वविद्यालय ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए मुक्त एवं दूरस्थ (ODL) कार्यक्रमों का सफल शुभारंभ किया है, जिसके अंतर्गत 6 स्नातकोत्तर और एक स्नातक कार्यक्रम लॉन्च किए है। प्रो भालेराव ने आगे बताया कि हमारे विश्वविद्यालय ने संबंधित क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने वाली महिलाओ को सम्मानित करने के लिए एक महिला उत्कृष्ट पुरस्कार की स्थापना की है जो प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रदान किया जाता है।
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति होने के नाते मुझे यह देखकर बहुत संतोष होता है कि इतने कम समय में विश्वविद्यालय का इस स्तर तक विकास हुआ है। मैं इस बात को दोहराना चाहता हूं कि विश्वविद्यालय समय-समय पर समर्पित विद्यार्थियों और शिक्षकों के साथ देश के सामाजिक विकास और प्रगति में योगदान देता रहेगा।
आयोजन के दौरान इस वर्ष राजस्थान से पद्मश्री के लिए नामांकित श्रीमती बेगम बतूल और शिव किशन बिस्सा (शीन काफ़ निज़ाम) को इस विशिष्ट समारोह में जीवन साधना गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हे पुरस्कार स्वरूप साइटैशन और 51,000 रुपए का चैक दिया गया। विश्वविद्यालय ने वर्ष 2024 से एक परंपरा शुरू की है, जिसके अनुसार प्रति वर्ष स्थापना दिवस पर किसी एक कुलपति को जीवन साधना गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है और इस वर्ष राजस्थान केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. अरुण कुमार पुजारी को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षकों में से सर्वश्रेष्ठ शोधकर्ताओं (Best Researchers) के रूप में डॉ सुब्रत पांडा, सहायक प्रोफेसर, वायुमंडलीय विज्ञान विभाग, डॉ. निधि पारीक, सहायक प्रोफेसर, सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग और डॉ कृष्ण मोहबे, सहायक प्रोफेसर, कंप्यूटर विज्ञान विभाग को शॉल, भगवद गीता, स्मृति चिन्ह और साइटैशन देकर पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित सांस्कृतिक व खेल महोत्सव सृजन की विजेता टीमों को भी मुख्य अतिथि द्वारा ट्रॉफिया प्रदान की गई।
समारोह का समापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव अमरदीप शर्मा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न गांवों के सरपंच, पंचायतों के निर्वाचित सदस्य, कुलपति, विभिन्न संस्थानों के निदेशक, समाज के सम्मानित अतिथि, शिक्षाविद और स्थानीय समुदाय के लोग भी उपस्थित थे जिन्होंने विश्वविद्यालय की सफलता में योगदान दिया है। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गरिमा कौशिक और डॉ. शीतल प्रसाद महेन्द्रा ने किया।