वर्तमान और भविष्य में होने वाली खोजों के सूत्र समाहित है भारतीय ज्ञान परम्परा में : प्रो.भगवती प्रकाश शर्मा

जयदेव पाठक जन सेवा न्यास की 17वीं राज्य स्तरीय व्याख्यान माला
अजमेर। भारत के प्राचीन सहित्य ज्ञान-विज्ञान का समग्र कोष हैं। विदेशी विद्वान मार्क ट्वेन ने इस सन्दर्भ में कहा है कि विश्व में अब तक हुई और भविष्य में होने वाली लगभग सभी खोजों के सूत्र भारतीय प्राचीन ग्रंथों में खोजे जा सकते हैं। यह विचार रविवार को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड स्थित राजीव सभागार में विद्या भारती राजस्थान से सम्बद्ध जयदेव पाठक जन सेवा न्यास द्वारा आयोजित 17वीं व्याख्यान माला में मुख्यवक्ता के रूप बोलते हुए यूनेस्को के महात्मा गांधी शांति एवं विकास संस्थान के अध्यक्ष प्रो.भगवती प्रकाश शर्मा ने व्यक्त किए।

भारतीय ज्ञान परम्परा विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि प्राचीन भारतीय साहित्यों में विश्व की अकूत ज्ञान सम्पदा समाहित हैं किन्तु दुर्भाग्य से विदेशी षड्यंत्रों द्वारा एक ओर जहां अपने शास्त्रों के अध्ययन की व्यवस्था को नष्ट किया गया, वहीँ दूसरी ओर विदेशी साहित्यकारों को मूल भारतीय साहित्यों के विकृतीकरण के लिए प्रोत्साहन और पुरस्कृत किया गया जिसके कारण भारतीय जन मानस आज भ्रमित होता दिखने लगा है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि शुद्र शब्द की उत्पत्ति स्वेद शब्द से हुई जिसका अर्थ है पसीना अर्थात अपना पसीना बहाकर सृजन या उत्पादन करने वाले आज की भाषा में जिसे हम स्किल्ड लेबर कह सकते हैं, जिसके आभाव में हम किसी अर्थव्यवस्था की कल्पना नहीं कर सकते, लेकिन ज्ञान के विकृतीकरण के कारण और अपने शास्त्रों के अध्ययन के अभाव में इस शब्द की विकृत व्याख्याएं हो रही हैं जो भारतीय समाज की एकता और बंधुता को समाप्त करने के लिए हथियार के रूप में उपयोग की जा रही है। ऐसा विकृतीकरण केवल एक नहीं अपितु सभी क्षेत्रों में किया जा रहा है। अतः भारतीय ज्ञान परम्परा का अध्ययन करने की अतीव आवश्यकता है।

आयोजन की प्रस्तावना रखते हुए विद्या भारती राजस्थान के क्षेत्रीय संगठन मंत्री शिवप्रसाद ने बताया की जयदेव पाठक एक श्रेष्ट आचार्य कर्मयोगी रहे उनका पूरा जीवन भारत केन्द्रित, सादगी पूर्ण तथा गुणवत्ता युक्त शिक्षा सभी को सुलभ करवाने के लिए समर्पित रहा। वो प्रत्येक शिक्षक प्रधानाचार्य के लिए प्रेरणा के स्त्रोत रहे। इसीलिए उनके मृत्यु उपरान्त जयदेव पाठक न्यास द्वारा प्रतिवर्ष राजस्थान के अलग-अलग शहरों में विभिन्न विषयों पर व्याख्यान माला का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर राजस्थान भर में विद्या भारती विद्यालयों से चयनित श्रेष्ठ आचार्यों और प्रधानाचार्यों का सम्मान किया जाता हैं जिसका यह 17वां आयोजन अजमेर में संपन्न हुआ।

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य मनोज बहरवाल ने कहा की भारतीय ज्ञान परम्परा का यह प्रकाश न केवल अतीत अपितु वर्तमान में भी फिर एक बार विश्वव्यापी होता दिखता है। जब अमरीका के राष्ट्रपति अमरीकी बच्चों को यह कहते पाए जाते हैं की पढाई करो वर्ना भारतीय सब क्षेत्रों में कब्ज़ा कर लेंगे। इस मेधा और ज्ञान को अधिक उज्जवल करने का महत्वपूर्ण दायित्व आचार्यों की समर्पित टोली का ही है।

कार्यक्रम में निरंजनी अखाडा के महाराज श्रीश्री 1008 श्री महामंडलेश्वर आचार्य नर्मदा शंकर पूरी का संत आशीर्वचन प्राप्त हुआ। उन्होंने विद्या भारती विद्यालयों में जय देव पाठक जैसे आचार्यों की प्रेरणा लेकर काम कर रहे आचार्यों की प्रशंसा करते हुए अपने कार्य को अधिक गति से करने का सन्देश दिया।

विद्या भारती राजस्थान के प्रचार प्रमुख नवीन झा ने जानकारी देते हुए बताया कि उक्त आयोजन में इस वर्ष श्रद्धेय जयदेव पाठक पुरस्कार पूरे राजस्थान से 9 श्रेष्ठ आचार्य, 9 श्रेष्ठ प्रधानाचार्य सहित सर्वाधिक संख्या वृद्धि वाली 9 शिशुवाटिकाओं सहित सबसे स्वच्छ विद्यालय की दृष्टि से 3 विद्यालयों को प्रदान किया गया।

प्रो.लालसिंह राजपुरोहित, डॉ.मनोज बहरवाल, महामंडलेश्वर आचार्य नर्मदा शंकरपुरी महाराज, प्रो.भगवती प्रकाश, बाबूलाल शर्मा।

श्रद्धेय जयदेव पाठक पुरस्कार 2024 से इनका सम्मान

श्रेष्ठ प्रधानाचार्य के रूप में गोपाल लाल गुर्जर (माध्यमिक आदर्श विद्या मंदिर राजमहल देवली, टोंक ), दया कंवर (श्री जगन्नाथ कंदोई बाआविम तारानगर चूरू), मोहन लाल माली (सुरेशम आदर्श विद्या मंदिर पिपलई सवाई माधोपुर ), शंकरलाल पालीवाल (विद्या निकेतन माध्यमिक नाथद्वारा राजसमन्द), श्री कपिल निम्बार्क (आदर्श विद्या मंदिर कोठार मौहल्ला शाहपुरा भीलवाड़ा), दीनदयाल नागर (स्वामी विवेकानंद माध्यमिक बारां), प्रवीण कुमार (आदर्श विद्या मंदिर माध्य. रेवदर जिला सिरोही), कैलाश सोनी (आदर्श विद्या मंदिर माध्यमिक बिलाडा जोधपुर), भोमसिंह (आदर्श विद्या मंदिर रामदेवरा जिला जैसलमेर) का सम्मान किया गया।

श्रेष्ट आचार्य के रूप में दिनेश कुमार तिवाड़, श्री चिरंजीलाल धाउमाआविम रतनगढ़ चूरू, शंभू दयाल शर्मा आदर्श विद्या मंदिर उमा मण्डावरी दौसा, विनोद कुमार जैन बा माध्यमिक आदर्श विद्या मंदिर सवाई माधोपुर, पद्मा पण्ड्या विद्या निकेतन माध्यमिक गोकुलपुरा डूंगरपुर, मीना राठौड़ विद्या निकेतन माध्यमिक सेक्टर -14 उदयपुर, ममता शर्मा आदर्श विद्या मंदिर उमा ब्यावर अजमेर, भावेश जी आदर्श विद्या मंदिर उमा पेवेलियन सिरोही, कल्पना आदर्श विद्या मंदिर माध्यमिक रायसिंह नगर श्रीगंगानगर, पुखाराम आदर्श विद्या मंदिर उमा माजीवाला जिला बालोतरा का सम्मान किया गया।

शिशु वाटिका में सर्वाधिक संख्या वृद्धि के लिए सम्मानित विद्यालयों में सरस्वती शिशु मंदिर ममिकण्डिया रोड पाली, सरस्वती बालिका विद्या मंदिर जवाहरनगर जयपुर, आदर्श विद्या मंदिर गांधीपुरी शाहपुरा भीलवाड़ा, नवीन आदर्श विद्या मंदिर पिण्डवाड़ा रोड़ सिरोही, आदर्श विद्या मंदिर शिशु वाटिका केशव परिसर जोधपुर, विद्या निकेतन माध्यमिक धरियावद प्रतापगढ़, आदर्श विद्या मंदिर छबडा बारां, उप्रा सरस्वती शिशु मंदिर निवाई शहर टोंक, माध्यमिक आदर्श विद्या मंदिर नगरफोर्ट टोंक का सम्मान किया गया।

राजस्थान में स्वच्छता की दृष्टि से क्रमश: आविनि शाहपुरा भीलवाड़ा, सुशीलादेवी प्रकाशराय मोदी बालिका आविनि सिरोही, माध्यमिक सरस्वती विद्या मंदिर निवाई टोंक को प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया। पुरस्कारों की घोषणा जोधपुर प्रान्त निरीक्षक गंगाविष्णु, परिचय एवं स्वागत चित्तौड़ प्रान्त सचिव मानेंग पटेल, धन्यवाद ज्ञापन जन सेवा न्यास के अध्यक्ष बाबूलाल शर्मा ने तथा सञ्चालन भूपेंद्र उबाना ने किया।