चंडीगढ़। केंद्र के जारी विवादास्पद कृषि अध्यादेशों के मुद्दे पर केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने आज केंद्रीय मंत्रिमंडल से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि शिरोमणि अकाली दल किसानों के हित के खिलाफ जाने वाले किसी निर्णय का हिस्सा नहीं बन सकता।
शिअद की तरफ से यहां जारी बयान के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे चार पृष्ठों के अपने इस्तीफे में कहा है, मेरा निर्णय मेरी पार्टी के विचारों, इसकी विरासत और किसानों के हितों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने की इसकी कटिबद्धता दर्शाता है।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने यहां जारी बयान में कहा कि केंद्र सरकार से हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफा बहुत देरी से आया है और पंजाब व इसके किसानों को इससे कोई लाभ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यदि शिअद ने ऐसा निर्णय पहले लिया होता और केंद्र सरकार को कृषि अध्यादेशों के मुद्दे पर समर्थन नहीं दिया होता तो हालात यहां तक नहीं बिगड़ते और केंद्र को किसान विरोधी कृषि अध्यादेश संसद में पेश करने से पहले दस बार सोचना पड़ता।
उन्होंने कहा कि अब भी शिअद के केंद्र से अपने एकमात्र मंत्री से इस्तीफा दिलाने का कारण किसानों के प्रति उनकी चिंता नहीं बल्कि अपना राजनीतिक भविष्य संवारने और बादलों के डूबते राजनीतिक करियर बचाने की कोशिश है।
कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि किसानों के आक्रोश और किसान संगठनों के दबाव ने ही बादलों को अध्यादेशों पर अपना रुख बदलने पर मजबूर किया है। उन्होंने कहा, क्या सुखबीर और हरसिमरत पहले यह देख नहीं पा रहे थे कि इन अध्यादेशों से पंजाब की कृषि और अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान पहुंचेगा? या फिर क्या वह सत्ता की लालच में अंधे हो गये थे और इसकी अनदेखी कर रहे थे?
उन्होंने दावा किया कि अब जबकि अकालियों को समझ में आ गया कि उनका खेल खत्म हो चुका है तो उनके सामने और कोई चारा नहीं था कि पंजाब में अपने खिसकते जनाधार को बचाने के लिए सार्वजनिक तौर पर अध्यादेशों के खिलाफ दिखें हालांकि प्रदेशवासी पहले भी उनको खारिज कर चुके हैं और फिर उन्हें खारिज करेंगे।