मुंबई । अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन (एआईएफ) ने एबिलिटी बेस्ड लिवलिहुड एम्पॉवरमेंट (एबल) प्रोग्राम के तहत अपना कौशल प्रशिक्षण पूरा करने पर 107 युवाओं को सम्मानित किया। एबल प्रशिक्षुओं को प्रमाणपत्र रूचेश जयवंशी आईएएस, कमिश्नर फॉर पर्संस विथ डिस्एबिलिटीज़, महाराष्ट्र ने वितरित किए। इन दृष्टिहीन एवं विकलांग युवाओं को रिटेल, हॉस्पिटलिटी एवं फिज़ियोथेरेपी में प्रशिक्षण दिया गया तथा एआईएफ के इंप्लीमेंटिंग पार्टनर, एनएबी मुंबई और चेशायर होम्स मुंबई द्वारा प्रि-एम्प्लॉयमेंट प्रशिक्षण दिया गया।
तर्सादिया फाउंडेशन- अमेरिका के सहयोग से एबल भारत में विकलांगों को कार्यबल में शामिल करके और विशाल समुदायों के बीच विकलांगों को एक स्थान दिलाकर समावेशी विकास का समर्थन करता है। इस समारोह के दौरान मौजूद गणमान्य मेहमानों में श्री संजॉय दत्ता, एवीपी, फ्रेंकलिन टेम्प्लेटन इन्वेस्टमेंट्स और सजित मेनन, एआईएफ के हेड ऑफ प्रोग्राम्स मौजूद थे। अभिभावकों और रोजगारदाताओं ने एबल प्रत्याशियों में प्रशिक्षण प्राप्त करके आत्मविश्वास के साथ कार्यबल में शामिल होने से आए बदलाव के अपने अनुभवों के बारे में बताया।
एआईएफ के कंट्री डायरेक्टर, मैथ्यू जोसेफ ने कहा की आज का दिन हमारे लिए गर्व का दिन है। भारत में 2 प्रतिशत से कम विकलांग रोजगार करते हैं, इसलिए एबल प्रोग्राम विकलांगों को रोजगार का प्रशिक्षण देकर उद्योग के इस परिदृश्य में बदलाव ला रहा है। आज तक हम भारत के 19 राज्यों में 14,000 विकलांगों को प्रशिक्षण दे चुके हैं और हम इस साल 2500 अन्य लोगों को प्रशिक्षण देंगे। हमारा मानना है कि विकलांगों को प्रोत्साहित कर उन्हें एक समान अवसर दिए जाने की आवश्यकता है।
अमेरिकन इंडिया फांउडेशन के बारे में
अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन भारत में सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन लाने के लिए प्रतिबद्ध है। शिक्षा, आजीविका, जनस्वास्थ्य और नेतृत्व क्षमता के विकास में उच्च प्रभाव के दखल से उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच एक स्थायी पुल का निर्माण किया है। स्थानीय सरकार के कराबी सहयोग से काम करते हुए आईएएफ ने एनजीओ को अपना पार्टनर बनाया है।
व्यापक प्रभाव डालने के लिए हम नए-नए समाधानों को विकसित कर रहे हैं और उसका परीक्षण कर रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सुझाव पर और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की पहल पर 2001 में इसकी स्थापना की गई। एआईएफ ने भारत के 4.6 मिलियन गरीबों की जिंदगी पर प्रभाव डाला है। ूूूण्।प्थ्ण्वतह पर इसके बारे में और ज्यादा जानिए।