जयपुर। सक्षम के 29 व 30 सितम्बर को केशव विद्यापीठ जामडोली में होने जा रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। अधिवेशन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहनाराव भागवत का सान्निध्य मिलेगा।
अधिवेशन परिसर को केशवपुरम् नाम दिया गया है। केशवपुरम् में सात आवास स्थलों संत सूरदास भवन, हेलेनकेलर भवन, गुलाबराव महाराज भवन, कात्रे जी भवन, पुट्टराज गबाई भवन, भीमाभोइ भवन, रविन्द्र जैन भवन के अन्तर्गत आने वाले प्रतिभागियों के ठहरने की व्यवस्था की गई है।
अधिवेशन में देशभर के 42 प्रांतों से लगभग 1500 प्रतिभागियों के उपस्थित रहने की संभावना है। सारी प्रबन्ध व्यवस्था के लिए कार्यालय गट, बौद्धिक गट, आवास गट, यातायात गट एवं भोजनालय गट इत्यादि में 29 प्रकार की व्यवस्थाओं का नियोजन किया गया है। व्यवस्था संभालने के लिए लगभग 550 बंधु-भगिनी (प्रबंधक) अपनी सेवाएं दे रहें हैं।
अष्टावक्र पाण्डाल जिसका आकार 200×85 फीट है इसमें 2000 व्यक्तियों की बैठने की व्यवस्था रहेगी। इसी प्रकार भोजनालय व्यवस्था के संचालन की दृष्टि से 109 कार्यकर्ताआें को (भोजन निर्माण एवं वितरण का) दायित्व दिया गया है। प्रत्येक आवासों में बाहर से पधारने वाले संभागियों की सम्पूर्ण आवास व्यवस्था की हेतु प्रबंधक लगाए गए हैं।
अधिवेशन में पधारने वाले दिव्यांग सभागियों के लिए हवाई अड्डा, जयपुर रेलवे स्टेशन तथा सिंधी कैम्प बस स्टैण्ड पर यातायात की विशेष व्यवस्था की गई है। इसके अलावा पर्यटन के अन्तर्गत राजस्थान के प्रमुख दर्शनीय स्थलों पर भ्रमण की व्यवस्था भी उपलब्ध है।
केशवपुरम् परिसर में आकर्षक रंगोली की रचना की गई है जिसके जरिए स्वच्छ भारत-एक कदम स्वच्छता की ओर, वृक्ष बचाओ, पानी बचाओ, पृथ्वी बचाओ, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, सुगम्य भारत, ऊंची उड़ान, समावेशित भारत आदि संदेश दिए गए हैं।
अधिवेशन स्थाल पर लगीं 60 स्टाल्स
सक्षम अधिवेशन परिसर में प्रदर्शनी के लिए लगी लगभग 60 स्टॉल्स उद्घाटन शुक्रवार शाम सक्षम के संरक्षक डॉ. मिलन्द कसबेकर तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सर्राफ ने किया। देशभर के आगंतुक प्रतिभागी इनका अवलोकन कर सकेंगे।
ये रहेगा अधिवेशन का विशेष आकर्षण
अधिवेशन के दौरान कुछ दिव्यांग बिना अंगुलियों के हारर्मोनियम बजाकर तथा कुछ बिना पैरों के नृत्य के जरिए अपनी अलौकिक प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। बिना हाथों के कार ड्राइविंग का अजूबा भी देखने को मिलेगा। ये हुनर इस बात का प्रमाण रहेगा कि दिव्यांगजन किसी भी परिस्थिति से हारते नहीं हैं बल्कि उसका सामना कर खुद को सक्षम बना लेते हैं।