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117 years later rare yoga being formed on shivaratri - Sabguru News
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117 साल बाद महाशिवरात्रि पर बन रहा है दुर्लभ योग

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117 साल बाद महाशिवरात्रि पर बन रहा है दुर्लभ योग
117 years later rare yoga being formed on shivaratri
117 years later rare yoga being formed on shivaratri

सबगुरु न्यूज। इस बार महाशिवरात्रि पर 117 साल बाद दुर्लभ योग पड़ेगा। 21 फरवरी काे फाल्गुन माह की त्रयोदशी को महाशिवरात्रि देशभर में मनाई जाएगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शिवरात्रि पर शनि अपनी स्वयं की राशि मकर में और शुक्र ग्रह अपनी उच्च की राशि मीन में रहेगा। जिससे एक दुर्लभ योग बन रहा है। बताया जा रहा है इससे पहले ऐसी स्थिति साल 1903  में बनी थी।

ज्योतिषियों का कहना है कि इस योग में भगवान शिव की आराधना करने पर शनि, गुरू तथा शुक्र के दोषों से मुक्ति मिलती है। साथ ही साथ ये समय किसी भी प्रकार के नए काम को करने की शुरुआत के लिए बहुत शुभ माना जा रहा है। इस दिन बाबा भोलेनाथ के भक्त झूमते दिखाई देते हैं। समस्त ग्रंथों आदि में महाशिवरात्रि का अधिक महत्व बताया गया है।

महाशिवरात्रि के दिन शिव जी शिवलिंग के रूप में अवतरित हुए थे

शास्त्रों में वर्णित इससे जुड़ी धार्मिक मान्यता के मुताबिक इस दिन शिव शिवलिंग रूप में अवतरित हुए थे व अन्य कथाओं के अनुसार दिन शिव-पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। श्रद्धालु इस दिन को शिव और पार्वती के विवाह के उत्सव के तौर पर देखते हैं तो कई इसे शिव का प्राक्टय दिवस के रूप में मनाते हैं। वैसे तो शिवरात्रि हर महीने में आती है लेकिन फाल्गुन मास में आने वाली महाशिवरात्रि का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन शिव भक्त पूरी रात जागते हैं और अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं।

इस बार महाशिवरात्रि पर पांच ग्रहों की होगी पुनरावृत्ति

ज्योतिष मनीषियों के अनुसार इस बार महाशिवरात्रि पर शश योग बन रहा है। इस दिन पांच ग्रहों की पुनरावृत्ति होने के साथ ही शनि और चंद्र मकर राशि में तो गुरु धनु में, बुध कुंभ राशि में तथा शुक्र मीन राशि में रहेंगे। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस योग में साधना सिद्धि करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

21 फरवरी को सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहेगा। शुभ कार्यों को संपन्न करने के लिए यह योग खास है। शिवलिंग के रुद्राभिषेक का खास महत्व होता है। लोग इस पर्व पर भगवान शिव का विधिवत पूजन करते हैं तथा व्रत रखते हैं। कहा जाता है इस व्रत के प्रभाव से सभी रोग और शारीरिक दोष समाप्त हो जाते हैं।

शिवजी पर जलाभिषेक करने से मनचाहा वरदान मिलता है

ऐसी मान्यता है कि शिवजी पर महा शिवरात्रि वाले दिन जलाभिषेक करने से मनचाहा वरदान भी मिलता है। जैसे कि आप लोग जानते होंगे कि शिव जी के जलाभिषेक का हिंदू धर्म में बहुत महत्व हैं। इसीलिए शिवालयों में हर समय भीज़ लगी रहती है। महाशिवरात्रि के दिन इनका बिल्वपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर, धतूरा और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। इसके अलावा कहा जाता है अगर इस दिन भोलेनाथ को मुर्दे की भस्म लगाई जाए तो वह और भी प्रसन्न होते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस पावन रात्रि यानि महाशिवरात्रि को भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश का सृजन किया था।

यह है महाशिवरात्रि पर एक पौराणिक मान्यता

महाशिवरात्रि को लेकर एक कथा ये भी प्रचलित है कि इस दिन शिवलिंग विभिन्न 64 जगहों पर प्रकट हुए थे। जिनमें से केवल 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में ही सब जानते हैं। महाशिवरात्रि के दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में लोग दीपस्तंभ लगाया जाता है। दीपस्तंभ इसलिए लगाते हैं ताकि शिवजी के अग्नि वाले अनंत लिंग का इस दिन अनुभव किया जा सके। कुछ और मान्यताओं की मानें तो शिव तथा आदि शक्ति के मिलन की रात को ही शिवरात्रि कहा जाता है। माना जाता है शिवरात्रि की रात आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं। वहीं इस दिन लाखों श्रद्धालु कांवर भी लाकर शिवजी पर जलाभिषेक करते हैं।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार