नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेन्सी की एक विशेष अदालत ने प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का कैंप चलाने के मामले में 35 में से 18 आरोपियों को दोषी करार दिया है जबकि 17 अन्य को बरी कर दिया है।
एनआईए की एरनाकुलम स्थित विशेष अदालत ने मामले की सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है। दोषियों की सजा का ऐलान मंगलवार को किया जाएगा। अदालत ने इन्हें गैर कानूनी गतिविधि (निवारण)अधिनियम के तहत दोषी करार दिया है।
सिमी के सदस्य केरल के वागामोन में गुपचुप तरीके से यह कैंप चला रहे थे और यहां अन्य सदस्यों को हथियार चलाने, विस्फोटक बनाने और ‘जेहाद्द’ का प्रशिक्षण दिया जाता था। इस कैंप में सिमी के केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड और उत्तर प्रदेश के सदस्यों को प्रशिक्षण दिया जाता था।
केरल पुलिस ने वर्ष 2008 में 43 लोगों के खिलाफ इस मामले में भारतीय दंड संहिता, गैर कानूनी गतिविधि (निवारण) अधिनियम, और शस्त्र अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया था। बाद में वर्ष 2010 में यह मामला एनआईए को सौंप दिया गया।
ये सभी आरोपी इस दौरान अहमदाबाद, दिल्ली, भोपाल और बेंगलुरू की जेलों में बंद रखे गए थे। मामले की सुनवाई के दौरान 77 गवाहों से पूछताछ की गई और ढाई सौ से अधिक दस्तावेज तथा सबूत पेश किए गए।