जयपुर। साल 2005 में पाकिस्तान से भारत आया एक विस्थापित परिवार मालवीय नगर में रह रहा है। परिवार का एक युवक राजा यहां जवाहर कला केंद्र में आर्टिस्ट है। एक महिला गीता भी घरेलु काम करके मिलने वाले पैसे से परिवार को गुजर-बसर कर रहे हैं। लेकिन भारत आने के बाद भी इनकी परेशानियां कम नहीं हुई।
नागरिकता के लिए इन्हें पुलिस, सीआईडी, आईबी, सचिवालय, कलेक्टर कार्यालय के अनेकों चक्कर लगाने पड़े। तब जाकर 15 साल बाद में उन्हें शुक्रवार को निमिकेत्तम संस्था के सहयोग से नागरिकता मिली है।
कलेक्टर कार्यालय में शुक्रवार को जयपुर कलेक्टर अंतर सिंह नेहरा ने पिछले कई वर्षों से यहां रह रहे 18 पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता देते हुए प्रमाण पत्र सौंपें। नागरिकता मिलते ही गीता की आंखों में खुशी के आंसू छलक पडे।
गीता बोली उसके भाई राजा का सपना था कि वह मुंबई जाकर एक्टर बनें। लेकिन पाकिस्तान की नागरिकता सपनों और मंजिल को पाने के बीच बाधा बन रही थी। गीता ने कहा कि अब मेरे सपने पूरे हों या नहीं हो। मेरे भाई राजा का सपना जरूर पूरा होगा।
गीता ने बताया कि पाकिस्तान में हिंदू होते हुए भी हमारी मां को बुर्का पहनकर बाजार में जाना पड़ता था। वहां हालात सही नहीं थे। मेरा और मेरे तीनों छोटे भाईयों का भविष्य नजर नहीं आ रहा था। ऐसे में हिम्मत करके मेरे माता-पिता हम चारों भाई बहन को भारत ले आए।
राजस्थान में पहुंचकर हम जयपुर आ गए। यहां वीजा की अवधि बढ़ाकर रहने लगे। लेकिन परेशानी यहां भी कम नहीं आईं। हमारे ऊपर पाकिस्तानी होने का ठप्पा लगा हुआ था। ऐसे में रहने के लिए शुरुआत में घर नहीं मिला। कभी दरबदर रहे।
रहने के लिए यहां कई मकान तक बदलने पड़े। लेकिन अब नागरिकता मिलने के बाद हमारा परिवार पाक के ठप्पे से उभर भारतीय बनकर रहेगा। नागरिकता मिलने वालों में गीता और उसके तीनों छोटे भाई राजा, सोनू और अमर समेत 18 अन्य लोग भी शामिल हैं।
निमिकेत्तम संस्था के जय आहूजा ने बताया कि पाक विस्थापितों को नागरिकता दिलाने के लिए संस्था द्वारा कई वर्षों से अनवरत प्रयास किए जा रहे हैं। पुलिस—प्रशासन द्वारा जांच प्रक्रिया पूरी होने समय लगता है, लेकिन विस्थापितों को नागरिकता मिल जाती है। कई अन्य ने भी आवेदन किए हुए हैं, जिन्हें नागरिकता दिलाने का प्रयास किया जा रहा है।