नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के ‘हाशिमपुरा हत्याकांड’ में निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए आरोपी प्रांतीय सशस्त्र कांस्टेबुलरी के सभी 16 जवानों को दोषी करार दिया है और उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई है।
यहां की तीस हजारी कोर्ट ने मेरठ के हाशिमपुरा में 22 मई 1987 को हुए नरसंहार में सभी आरोपियों को सबूतों के अभाव में वर्ष 2015 में बरी कर दिया था।
न्यायाधीश एस मुरलीधर और न्यायाधीश विनोद गोयल की खंडपीठ ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि जवानों ने लक्ष्य करके अल्पसंख्यक समुदाय के 42 लोगों की हत्या की थी। परिजनों को न्याय के लिए 31 साल तक इंतजार करना पड़ा।
खंडपीठ ने याचिका की सुनवाई के बाद अपहरण,हत्या और साक्ष्य मिटाने की भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत सभी जवानों को उम्र कैद की सजा सुनाई।
दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने मेरठ के हाशिमपुरा में 22 मई 1987 को हुए नरसंहार में सबूतों के अभाव में वर्ष 2015 में आरोपी सभी 19 जवानों को बरी कर दिया था। इनमें तीन की मौत हो चुकी है।
इस मामले की वर्ष 1996 में ग़ाज़ियाबाद की एक अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया गया था लेकिन उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सितंबर 2002 में इस मामले को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया।
इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष फैसले को चुनौती देने का फैसला किया। अल्पसंख्यक समुदाय ने आरोप लगाया था कि निचली अदालत का आदेश राज्य सरकार की विफलता है।
पीएसी के जवानों ने एक इबादत स्थल के पास एकत्र अल्पसंख्यक समुदाय के 500 लोगों में से 50 लोगों को अगवा कर लिया था। वे उन्हें पास केे नहर के निकट ले गए और बारी-बारी से उन्हें गोली मार दी जिसमें 42 लोगों की मौत हो गई।