नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सोमवार की रात गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए हैं। सेना ने देर रात जारी वक्तव्य में पुष्टि की है कि इस झड़प में उसके 20 सैनिक शहीद हुए हैं।
इससे पहले दिन में सेना ने एक बयान जारी कर कहा था कि दोनों सेनाओं के बीच हिंसक झड़प में उसका एक अधिकारी और दो जवान शहीद हुए हैं। लेकिन देर रात आए बयान में कहा गया है कि दोनों सेनाओं के सैनिकों के सोमवार रात पीछे हटने की प्रक्रिया के दौरान हुई झड़प में भारत के 17 सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गए थे। घायल सैनिकों ने ऊंचाई वाले और दुर्गम क्षेत्र में शून्य से कम तापमान में रहने के कारण बाद में दम तोड़ दिया जिससे शहीद होने वाले सैनिकों की संख्या बढकर 20 हो गई है।
सेना ने कहा है कि वह देश की सीमाओं की अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लगभग दो घंटे तक गृह मंत्री अमित शाह और अन्य मंत्रियों के साथ इस मसले पर बैठक की और समूचे घटनाक्रम पर गहन विचार विमर्श किया गया।
सेना ने स्पष्ट किया है कि झड़प में फायरिंग नहीं हुई लेकिन उसने जोर देकर कहा है कि इस दौरान चीन के सैनिक भी हताहत हुए हैं लेकिन इसकी संख्या नहीं दी गई है। सूत्राें के अनुसार चीनी सैनिकों ने पूरी तैयारी और सुनियोजित साजिश के साथ भारतीय सैनिकों पर अचानक हमला किया। उस समय मौके पर मौजूद चीनी सैनिकों की संख्या भारतीय सैनिकों से कहीं अधिक थी।
चीनी सैनिकों ने लाठियों में लोहे की बड़ी कील लगाकर और लोहे की रॉड तथा पत्थरों से हमला किया। भारतीय सैनिकों ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया है। अपुष्ट खबरों और मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि झड़प में चीन के कम से कम 43 जवान हताहत हुए हैं। मीडिया रिपोर्टों में चीन के हेलिकॉप्टरों की गतिविधियों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि वे बड़ी संख्या में हताहत जवानों को लेकर गए हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और गृह मंत्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री के साथ इस झड़प के बारे में विस्तार से बात की है और उन्हें सारी घटना की जानकारी दी है। भारत ने इस हिंसक टकराव के लिए चीनी पक्ष को जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि यदि चीनी पक्ष ने दोनों देशों के बीच बनी उच्च स्तरीय सहमति का पालन किया होता तो यह घटना नहीं होती।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत दोनों देशों की सीमाओं पर शांति एवं स्थिरता बनाये रखने के महत्व को अच्छी तरह से समझता है लेकिन अपनी संप्रभुता एवं प्रादेशिक अखंडता की रक्षा करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।
प्रवक्ता ने कहा कि भारत एवं चीन पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में सीमा पर बनी स्थिति में तनाव घटाने के लिए सैन्य एवं कूटनीतिक चैनलों से बातचीत कर रहे थे। वरिष्ठ कमांडरों के बीच छह जून को एक सार्थक बैठक हुई और तनाव घटाने की प्रक्रिया पर सहमति बनी। उसी के अनुरूप क्षेत्रीय कमांडरों के बीच उक्त उच्चस्तरीय सहमति को क्रियान्वित करने के लिए कई दौर की बैठकें हुईं।
श्रीवास्तव ने कहा कि हम अपेक्षा कर रहे थे कि यह सब सुचारू रूप से क्रियान्वित हो जाएगा, पर चीनी पक्ष गलवान घाटी से वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान किये जाने की सहमति से अलग हट गया। 15 जून की रात में दोनों पक्षों में हिंसक झड़प हुई क्योंकि चीनी पक्ष ने एकतरफा ढंग से यथास्थिति बदलने की कोशिश की। दोनों पक्षों के सैनिक हताहत हुए। यदि चीनी पक्ष उच्च स्तर पर हुए समझौते का पालन करता तो इससे बचा जा सकता था।
उन्होंने कहा कि सीमा प्रबंधन को लेकर जिम्मेदारी निभाते हुए भारत शुरू से बहुत स्पष्ट रहा है कि उसकी सभी गतिविधियां वास्तविक नियंत्रण रेखा के भीतर अपने अधिकार वाले क्षेत्र में ही सीमित हैं। हम चीनी पक्ष से भी यही अपेक्षा करते हैं।
उन्होंने कहा कि हम इस बात को पूरी तरह से मानते एवं समझते हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता कायम रखने और मतभेदों को बातचीत के माध्यम से सुलझाने की जरूरत है। पर इसी समय हम भारत की संप्रभुता एवं प्रादेशिक अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ हैं।
इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शीर्ष सैन्य नेतृत्व के साथ लगातार दो बैठकों में चर्चा की और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी स्थिति से अवगत कराया। सिंह ने विदेश मंत्री एस जयशंकर की मौजूदगी में चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ लगभग एक घंटे चली बैठक में घटना की विस्तार से जानकारी ली और स्थिति की समीक्षा की। बैठक में मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए रणनीति और आगे उठाये जाने वाले कदमों पर भी विचार विमर्श किया गया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सैन्य अधिकारियों के साथ बैठक के बाद जयशंकर प्रधानमंत्री मोदी को स्थिति की जानकारी देने के लिए उनके आवास पर पहुंचे। उन्होंने मोदी को झड़प और इसके कारण उत्पन्न स्थिति के बारे में सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए विस्तार से जानकारी दी।
इसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने भी प्रधानमंत्री मोदी के साथ अलग से बैठक की। दोनों ने इस समूचे घटनाक्रम पर काफी देर तक विचार विमर्श किया और आगे की रणनीति पर भी चर्चा की।
उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख में पिछले एक महीने से भी अधिक समय से दोनों सेनाओं के बीच गंभीर गतिरोध बना हुआ है। इस गतिरोध को दूर करने के लिए पिछले कुछ सप्ताह में दोनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच लगातार बैठकें हो रही हैं। गत 6 जून को हुई लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता के बाद दोनों सेनाओं ने अपने सैनिकों को कुछ पीछे हटाने का निर्णय लिया था।
पिछले एक महीने में दोनों सेनाओं ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के निकट भारी वाहनों, उपकरणों और जवानों का जमावड़ा बढा दिया है। दोनों देशों के राजनीतिक नेतृत्व की ओर से निरंतर कहा जा रहा है कि इस मुद्दे का समाधान बातचीत के जरिये निकाला जाएगा। दोनों सेनाओं के अधिकारियों के बीच सोमवार को भी एक बैठक हुई थी।