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बंगाल के पिछले चुनावों दौरान 20 लोगों ने गंवाई थी जान, हजारों हुए थे घायल - Sabguru News
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बंगाल के पिछले चुनावों दौरान 20 लोगों ने गंवाई थी जान, हजारों हुए थे घायल

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बंगाल के पिछले चुनावों दौरान 20 लोगों ने गंवाई थी जान, हजारों हुए थे घायल
20 people lost their lives and thousands were injured During the last elections in Bengal
20 people lost their lives and thousands were injured During the last elections in Bengal
20 people lost their lives and thousands were injured During the last elections in Bengal

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल विधानसभा के आठ चरणों में होने वाले चुनाव के बीच आयी एक पुस्तक में दावा किया है कि राज्य में चुनाव के दौरान राजनीतिक हिंसा जीत का पुराना रास्ता बन गया है और 2016 के चुनाव में भी बड़े पैमाने पर खून खराबे के कारण ही तृणमूल कांग्रेस की सीटें बढ़ी थी।

वरिष्ठ पत्रकार और नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (इंडिया) क अध्यक्ष रास बिहारी ने अपनी पुस्तक रक्तांचल- बंगाल की रक्तचरित्र राजनीति में इसे तथ्यों के साथ स्थापित करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में 27 मार्च से आठ चरणों वाला चुनाव शुरू हो रहा है और इसी के साथ राजनीतिक हिंसा भी बढ़ने की खबरें आ रहीं हैं। हालांकि सुरक्षा पुख्ता इंतजाम करने के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों की 800 कंपनियों को बुलाया गया है। पर हिंसा के चरित्र को समझने के लिए वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव को भी पलट कर देखना होगा।

रासबिहारी के अनुसार 2016 में छह चरणों में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भारी हिंसा हुई थी। 4 मार्च को चुनाव घोषित होने के बाद 19 मई को मतगणना होने तक 20 लोग चुनावी रंजिश में मारे गए थे और हजारों घायल हुए थे। मतदान केंद्रों पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के लोगों ने जमकर उत्पात मचाया था। उन्होंने पुस्तक में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2016- हिंसा भी बढ़ी और तृणमूल की सीटें भी अध्याय में चुनावी हिंसा का विस्तृत रूप से उल्लेख किया है और कहा है कि जितनी हिंसा बढ़ी उसी अनुपात में तृणमूल कांग्रेस की सीटें भी बढ़ीं। चुनाव आयोग ने 2016 में केंद्रीय सुरक्षा बलों की 650 कंपनियों को तैनाती में 4 मार्च 2016 को छह चरणों 4 व 11 अप्रैल, 17 अप्रैल, 21 अप्रैल, 25 अप्रैल, 16 अप्रैल और 19 अप्रैल को मतदान कराने की घोषणा की। पहले चरण को दो हिस्सों में बांटा गया था। मतगणना 19 मई को कराई गई थी।

पुस्तक में उल्लेख किया गया है कि 2016 में पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा में 52 लोग मारे गए थे। राज्य में पहले से ही जारी राजनीतिक खूनखराबा 4 मार्च 2016 को चुनाव की घोषणा के साथ ही तेजी से बढ़ गया। हैरानी की बात यह है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार राजनीतिक हिंसा में 36 लोग मारे गए और पश्चिम बंगाल सरकार ने केवल एक व्यक्ति की मौत राजनीतिक कारणों से नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो में दर्ज कराई थी। 2011 में विधानसभा चुनाव कई चरणों और केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती में कराने की मांग करने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सुर 2016 के विधानसभा चुनाव में पूरी तरह बदल गए थे।

पुस्तक में बताया गया है कि उस समय मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने छह चरणों में चुनाव कराने पर चुनाव आयोग पर भेदभाव करने का आरोप लगाया था। तृणमूल कांग्रेस के अलावा सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग के छह चरणों में मतदान कराने की घोषणा का स्वागत किया था। बनर्जी की नाराजगी असम में साम्प्रदायिक हिंसा के बावजूद चुनाव दो चरणों में तथा केरल, तमिलनाडु और पुद्दचेरी में एक ही चरण में मतदान कराने पर थी। बनर्जी ने हाथ, हथौड़ी व पद्दो-बांग्लार मानुष कोरेबे जब्दो (हाथ, हथौड़ी और कमल को बंगाल की जनता नकार देगी) नारा देते हुए कहा था कि राजनीतिक साजिशों का मुकाबला किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि चुनाव आयोग चाहे तो 294 सीटों पर 294 दिनों में चुनाव करा सकता है।

रास बिहारी ने लिखा है कि विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले चुनाव आयोग के साथ बैठक में विपक्षी दलों ने विधानसभा चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा की आशंका जताई थी। उस समय कांग्रेस ने आठ चरणों में मतदान कराने की मांग की थी। चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल के हर बूथ पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल तैनात करने और राज्य पुलिस बल को बूथों से 200 मीटर के दायरे के बाहर तैनात करने की बात कही थी। पुस्तक में यह भी बताया गया है कि राज्य प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों के कारण केंद्रीय सुरक्षा बलों का सही तरीके से उपयोग नहीं किया।