नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के दो लोकसभा उपचुनाव परिणामों से बदले राजनीतिक माहौल के बीच शुक्रवार से यहां शुरु हो रहे कांग्रेस महाधिवेशन पर सबकी नजर होगी जिसमें भारतीय जनता पार्टी की बढ़ती ताकत पर अंकुश लगाने तथा अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव के लिए पार्टी की रणनीति का खुलासा होने की संभावना है।
राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद हो रहे इस पहले अधिवेशन से पार्टी विभिन्न प्रस्तावों के जरिये राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर अपने विचार स्पष्ट करेगी और उन पर आगे बढ़ने तथा उनके क्रियान्वयन का रास्ता तय करेगी। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के मिलकर भाजपा को पटकनी देने के बाद कांग्रेस के इस अधिवेशन का महत्व और बढ़ गया है।
सबकी नजर अब इस बात पर होगी कि पार्टी भाजपा विरोधी ताकतों को साथ लेने के लिए क्या रास्ता अपनाएगी। कुछ दिनों पूर्व पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा विपक्षी दलों के नेताआें को दिये गये रात्रिभाेज से साफ है कि पार्टी भाजपा विरोधी ताकतों की एकजुटता के पक्ष में है। संभव है कि पार्टी इस अधिवेशन के माध्यम से विपक्षी एकता के बारे में स्पष्ट संदेश दे।
पार्टी सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी देश की राजनीतिक स्थिति पर दृष्टि पत्र पेश कर सकते है जिसमें आगे की रणनीति विशेषकर अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव में भाजपा को पराजित करने की रणनीति के बारे में विस्तार से जानकारी होगी। किसानों, बेरोजगारों तथा गरीबों के मुद्दे पर इस अधिवेशन में विशेष रूप से चर्चा होगी तथा इस संबंध में प्रस्ताव भी पारित किये जायेंगे। इन मुद्दों पर पार्टी सरकार को लगातार घेरती रही है और अगले चुनाव में वह इन्हें बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में है।
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से लगातार हार पार्टी के लिए चिंता का विषय है और इस मसले पर अधिवेशन में विस्तार से चर्चा होगी। पार्टी इस दुविधा में है कि वह खुद को मजबूत करने के लिए अकेले आगे बढ़े या भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए क्षेत्रीय दलों की प्रधानता स्वीकार करे।
इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में होने वाले तीन दिन के इस अधिवेशन में 15000 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। पिछले वर्ष 16 दिसम्बर को राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष निर्वाचित होने पर अधिवेशन में औपचारिक मुहर लगाई जाएगी। सत्र के पहले दिन 16 मार्च को पदाधिकारियों की बैठक होगी और दूसरे दिन 17 मार्च को राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक तथा अन्य प्रस्ताव पारित किए जाएंगे तथा 18 को महा अधिवेशन का समापन होगा।
सूत्रों के अनुसार महा अधिवेशन में राजनीति प्रस्ताव 2019 के आम चुनाव पर केंद्रित होगा। राजनीतिक प्रस्ताव में पार्टी मोदी सरकार की नाकामियों को सामने लाने और उसके अनुरूप आम चुनाव में अपनी जीत और भाजपा की हार सुनिश्चित करने के लिए रोड मैप तैयार करेगी। महा अधिवेशन में आर्थिक स्थिति पर प्रस्ताव लाया जाएगा। इसमें सर्वजनहिताय और सबके कल्याण की योजनाएं होंगी तथा आम लोगों को सामाजिक एवं आर्थिकरूप से सशक्त बनाने के तौर तरीकों पर जोर दिया जाएगा।
पार्टी किसानों के मुद्दे जोरशोर से उठाना चाहती है इसलिए सत्र में किसानों से जुडे मामलों को विशेष तरजीह दी जाएगी। पार्टी के संविधान में भी संशोधन किया जाना है और इसके लिए अगल समिति का गठन किया गया है।
महा अधिवेशन से संबंधित तैयारी के लिए चार समितियां गठित की गई थीं। मसौदा समिति का दायित्व पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा राजनीतिक प्रस्ताव समिति की जिम्मेदारी एके एंटनी के पास है। आर्थिेक मामलों की समिति के अध्यक्ष पी चिदंबरम तथा संविधान संशोधन समिति के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा कृषि, रोजगार तथा गरीबी उन्मूलन संबंधी उप समिति के अध्यक्ष हैं और मीनाक्षी नटराजन इसकी संयोजक हैं।