नई दिल्ली। भारतीय पुरूष और महिला हाॅकी टीमों के लिए साल 2019 यादगार रहा और टोक्यो ओलंपिक के लिये क्वालीफाई कर जाने के साथ दोनों टीमों की नज़रें नये साल में इतिहास बनाने पर टिक गयी हैं।
भारत ने हॉकी में अपना आखिरी पदक गोल्ड के रूप में 1980 के मॉस्काे ओलंपिक में जीता था। उसके बाद से भारतीय हॉकी का इंतजार लगातार लंबा होता जा रहा है। लेकिन विश्व रैंकिंग में पांचवें नंबर पर मौजूद पुरूष हॉकी टीम से उम्मीद है कि वह इस इंतजार को टोक्यो में पूरा कर सके।
पुरूष हॉकी टीम ने 2018 विश्वकप की निराशा को 2019 में छोड़ा और लगातार मेहनत करते हुये साल के आखिरी में रूस को हराकर टोक्यो ओलंपिक के लिये क्वालीफाई कर लिया। कप्तान मनप्रीत सिंह ने 2019 पर नजर डालते हुये कहा,“ हमारे लिये यह साल सकारात्मक रहा। हमारा एक ही लक्ष्य था ओलंपिक क्वालिफिकेशन जिसे हमने हासिल किया। मुझे यह भी लगता है कि अपनी पांचवीं रैंकिंग को साल के अंत तक बनाये रखना भी एक बड़ी उपलब्धि है।”
मनप्रीत का कहना है कि टीम के पास कई ऐसे खिलाड़ी हैं जाे टोक्यो में इतिहास बनाने की क्षमता रखते हैं। नये साल में पुरूष हॉकी टीम को एफआईएच हॉकी प्रो लीग और 2020 में होने वाली एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करना होगा। भारत दो साल में होने वाली एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में पिछले दो खिताब जीत चुका है।
महिला हॉकी टीम ने अमेरिका को हराकर टोक्यो ओलंपिक का टिकट पाया। महिला टीम 2018 एशियाई खेलों के फाइनल में जापान से हारकर सीधे ओलंपिक का टिकट पाने से चूक गयी थी। लेकिन कप्तान रानी के नेतृत्व में टीम ने साल भर आत्मविश्वास भरा प्रदर्शन किया और कई अच्छी टीमों को हराया। जापान में हुये ओलंपिक टेस्ट इवेंट में महिला टीम ने चीन और जापान को हराया और आस्ट्रेलिया के साथ ड्रॉ भी खेला।
भारतीय पुरूष जूनियर हाॅकी टीम के लिये भी 2019 शानदार वर्ष रहा जहां उसने सुल्तान जोहोर कप में रजत पदक जीता। टीम अब 2020 में होने वाली जूनियर एशिया कप की तैयारी करेगी जो 2021 के जूनियर विश्वकप का क्वालिफाइंग टूर्नामेंट होगा।