गांधीनगर। गुजरात में 13.66 लाख लाभार्थियों की अप्रैल महीने की पेंशन की कुल 221 करोड़ रुपए की रकम प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिए सीधे उनके बैंक खातों में जमा करा दी गई है।
मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के सचिव अश्विनी कुमार ने गुरुवार को कहा कि समूची दुनिया को अपनी चपेट में लेने वाले कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए देशभर में लागू हुए लॉकडाउन के चलते गुजरात में भी इसका सख्ती से अमल हो रहा है। लॉकडाउन की अवधि के दौरान राज्य के ग्रामीण क्षेत्र के छोटे दूध उत्पादकों-पशुपालकों तथा निजी उद्योग एवं व्यवसायों में कार्यरत कर्मचारियों को आर्थिक सहारा प्रदान करने वाले महत्वपूर्ण निर्णय किए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के ऐसे छोटे दूध उत्पादक-पशुपालक जो किसी दूध मंडली के सभासद नहीं हैं, वे स्थानीय स्तर पर दूध का वितरण नहीं कर पा रहे हैं।
लिहाजा दूध बिगड़ जाने से उन्हें आर्थिक नुकसान उठाने की नौबत आ गई है। ऐसे छोटे पशुपालकों-दूध उत्पादकों को आर्थिक नुकसान से राहत देने के लिए उनके विशाल हित में यह निर्णय किया गया है कि ऐसे छोटे दूध उत्पादक जो किसी दूध मंडली के सभासद नहीं भी हैं, तो भी वर्तमान स्थिति में वे अपना दूध प्राथमिक दूध सहकारी मंडली में जमा करवा सकेंगे। प्राथमिक दूध सहकारी मंडलियों द्वारा स्वीकार किए गए गैर-सभासद पशुपालकों के दूध को स्वीकारने का निर्देश जिला दूध उत्पादक संघों और फेडरेशन को दे दिया गया है।
कुमार ने कहा कि लॉकडाउन के हालात में व्यापार, उद्योग और रोजगार पर विपरीत प्रभाव पड़ा है, ऐसी स्थिति में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि निजी क्षेत्र में कार्यरत कामगारों और कर्मचारियों को उनकी औद्योगिक इकाइयां, फैक्ट्री, दुकानदार या पंजीकृत ठेकेदार लॉकडाउन के दौरान नौकरी से नहीं निकाल सकते। इतना ही नहीं, उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि निजी क्षेत्र के ऐसे कर्मचारियों का लॉकडाउन की अवधि का वेतन भी न काटा जाए। संबंधित जिला कलक्टरों को यह सुनिश्चित करने की ताकीद की गयी है कि असंगठित क्षेत्र के कामगारों, श्रमिकों को भी उनके मालिकों, उद्योग-व्यापार संचालकों द्वारा लॉकडाउन के दौरान नौकरी से न निकाला जाए और न ही उनका वेतन काटा जाए।
राज्य के बेसहारा, दिव्यांग, गंगास्वरूपा महिलाओं (विधवा) तथा राज्य सरकार की समाज कल्याण योजनाओं के तहत मासिक पेंशन प्राप्त करने वाले लाभार्थियों को लॉकडाउन की स्थिति में आर्थिक मुश्किलों से उबारने के लिए ऐसे लाभार्थियों को अप्रैल महीने की पेंशन एडवांस में देने की घोषणा पहले ही कर दी गई है। ऐसे 13.66 लाख लाभार्थियों की अप्रैल महीने की पेंशन की कुल 221 करोड़ रुपए की रकम प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिए सीधे उनके बैंक खातों में जमा करा दी गई है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत अनाज प्राप्त करने वाले राज्य के आठ लाख अंत्योदय और 58 लाख प्राथमिकता वाले परिवार यानी पीएचएच राशन कार्ड धारकों को अप्रैल महीने के अनाज का निःशुल्क वितरण सरकारी मान्यता प्राप्त उचित मूल्य की दुकानों पर कल से शुरू हो चुका है। दो दिनों में ऐसे 20 लाख से अधिक कार्ड धारकों ने अनाज वितरण का लाभ उठाया है। अब आगामी चार अप्रैल से अन्नब्रह्म योजना के तहत ऐसे लाभार्थियों को अनाज वितरीत किया जाएगा जो अत्यंत गरीब, बेसहारा और परिवार विहीन हैं तथा अन्य प्रदेशों से गुजरात में रोजी-रोटी कमाने के लिए आए हैं और उनके पास राशन कार्ड भी नहीं है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना अधिनियम के अंतर्गत अनाज प्राप्त करने वाले 66 लाख परिवारों के लगभग 3.25 करोड़ अर्थात राज्य की आबादी के करीब 50 फीसदी लोगों को अनाज मिलता है। इसके बाद भी यदि को कोई लाभार्थी छूट जाता है तो संबंधित तहसीलदार कार्यालय में संपर्क करने पर उन्हें भी अन्नब्रह्म योजना का लाभ वर्तमान परिस्थिति में दिया जाएगा। ऐसे लाभार्थियों की सूची जिला कलक्टर तंत्र ने आपूर्ति तंत्र के साथ समन्वय कर तैयार की है और कलक्टर तंत्र द्वारा ऐसे लोगों को जरूरी अनाज की आपूर्ति की जाएगी।
लॉकडाउन के नौवें दिन आज राज्य में 47.42 लाख लीटर दूध का वितरण हुआ है। वहीं, 82,957 क्विंटल साग-भाजी की आवक राज्य की मंडियों में हुई है। जिसमें आलू 19,614 क्विंटल, प्याज 22,846 क्विंटल, टमाटर 7,270 क्विंटल और अन्य हरी सब्जियां 33,224 क्विंटल शामिल हैं। फलों की 13,602 क्विंटल की आवक में सेब 475 क्विंटल, केला 647 क्विंटल और अन्य फल 12,480 क्विंटल शामिल हैं। लॉकडाउन की अवधि के दौरान नागरिकों को जीवन आवश्यक वस्तुओं की नियमित आपूर्ति की सुदृढ़ व्यवस्थाएं की गई हैं।