अजमेर। राजस्थान ही नहीं, संभवतः हिन्दी भाषी अन्य राज्यों में अजमेर एक मात्र ऐसा शहर होगा, जहां के पत्रकार, साहित्यकार, कलाकार, बुद्धिजीवी आदि मिलकर होली का उत्सव धूमधाम से मनाते हैं। इसमें पानी और रंग गुलाल का उपयोग नहीं होता।
राजनेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों एवं समाज के प्रभावशाली लोगों पर जब उनकी प्रवृत्ति के अनुरूप कटाक्ष होते हैं तो दर्शकों की तालियां अपने आप बज जाती हैं। इस बार 23वां फाल्गुन महोत्सव 20 मार्च को जवाहर रंगमंच में दोपहर डेढ़ बजे से शुरू होगा।
महोत्सव में हास्य की फुलझड़ियां, चुटीले टाइटल दिए जाते हैं। हंसा हंसाकर लोटपोट कर देने वाली झलकियां, नाटक आदि की प्रस्तुति होती है और अंत में मूर्खराज, महामूर्ख आदि का चयन किया जाता है। इसमें शहर के प्रशासनिक अधिकारी, राजनीतिज्ञ, कारोबारी, पत्रकारों सहित प्रमुख प्रतिष्ठित लोग निष्पक्षता यह है कि पत्रकार स्वयं भी कटाक्ष के शिकार होते हैं।
समारोह के अवार्ड और राजनीतिक झलकियों की चर्चा वर्ष भर रहती है। सांसद, विधायक, मंत्री, अफसर आदि भी पत्रकारों के फाल्गुन उत्सव का वर्षभर इंतजार करते हैं। होली के माहौल में डूबे टाइटल भी सभी को दिए जाते हैं।
राजनेताओं और अफसरों को मंच पर बुलाकर ऐसे सवाल पूछे जाते हैं कि उन्हें सोचने पर मजबूर होना पड़ता है। जनहित से जुड़े ऐसे सवालों से राजनेता वर्ष भर बचते हैं। फाल्गुन महोत्सव को सफल बनाने में अजमेर नगर निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण, अजमेर डेयरी शामिल होते हैं। प्रवेश निःशुल्क है। पहले आओ, पहले पाओ के नियम के तहत बैठने की व्यवस्था है।