सबगुरु न्यूज-सिरोही. मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान से जिले में भू जल में होने वाली बढ़ोतरी की वैज्ञानिक जांच के लिए विभिन्न स्थानों पर 24 पीजोमीटर लगाए जाएंगे। डीआरडीओ सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता में शुक्रवार को ये जानकारी जिले में एमजेएस के ओआईसी नरेंद्र सिंह ने दी।
एमजेएस के तीसरे चरण की शुरुआत से पहले आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया की एमजेएस के तहत दूसरे चरण में जिले में 9 पीजोमीटर लगाये गए हैं। प्रथम चरण के लिए 7 और तीसरे चरण के लिए 8 पीजोमीटर की सेंक्शन हो चुकी है। उन्होंने बताया कि पीजोमीटर का स्थान भूजल विभाग तय करेगा।
उन्होंने बताया कि ये पीजोमीटर लगने के बाद ये पता चल जाएगा कि वैज्ञानिक रूप से एमजेए के स्ट्रक्चर से भू जल में कितनी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि अतिवृष्टि में टूटे जल ढांचों की मरम्मत ठेकेदार द्वारा करवाई गई है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने काम की गुणवत्ता के लिए राज्य स्तर पर ही जल संसाधन विभाग के 24 अभियंताओ का दल बनाया है। इस दल के इंजीनियर ही राज्य सरकार की और से निर्धारित एमजेएस के ढांचों का निरीक्षण करके काम की गुणवत्ता परखेंगे। सिंह ने बताया कि इस वर्ष एमजेएस में डिसिल्टिंग के काम भी शामिल किए गए हैं, लेकिन इनकी संख्या न्यूनतम होगी। मूल काम ढांचागत निर्माण ही होगा।
-भू जल स्तर की जांच के काम आता है पीजोमीटर
पत्रकार वार्ता में एडीएम जवाहर चौधरी ने बताया कि पीजोमीटर भूजल का स्तर मापने का यंत्र है। इसकी सहायता से वर्षा जल की तरह भूजल स्तर का गेज माने के लिए किया जाता है।
चौधरी ने बताया कि जिले में मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के तीसरे चरण की शुरुआत पिंडवाड़ा तहसील के घरट गांव से की जाएगी। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में सिरोही को राज्य में तीसरा स्थान मिला था, लेकिन दूसरे चरण के कार्यों में राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया गया है।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशाराम डूडी ने बताया कि तीसरे चरण में 26 ग्राम पंचायतों के 51 गांवों में मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के तहत 38.37 करोड़ के 2854 कामों का सर्वे किया गया था। इनमे से राज्य सरकार के द्वारा 2758 कार्यों की स्वीकृति दे दी गयी है। डूडी ने बताया कि जिले में अब तक मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के तहत हुए कार्यों में जो ढांचे बने थे वे सभी बारिश में लबालब हुए थे।