जयपुर। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि विश्वविद्यालय अपनी अकादमिक श्रेष्ठता और अद्यतन शोध द्वारा ही राष्ट्र की प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
मिश्र ने गुरुवार को राजस्थान विश्वविद्यालय के 29वें दीक्षांत समारोह में कहा कि विद्यार्थी एवं शोधार्थी जिम्मेदार नागरिक बनें। सच्चाई एवं ईमानदारी से दायित्वों का निवर्हन करें। राष्ट्र को विश्व पटल पर विश्व गुरू के रूप में स्थापित करने में एकजुट होकर सभी सक्रिय एवं सार्थक भूमिका निभाएं।
उन्होंने कहा कि एक श्रेष्ठ राष्ट्र के निर्माण में विश्वविद्यालय की भूमिका से हम सभी परिचित हैं। भारत के विश्वविद्यालय भी भारतीय प्रजातंत्र एवं गणतंत्र की भावना के अनुरूप समानता के सिद्धान्त के अनुसार उच्च शिक्षा के प्रचार-प्रसार में संलग्न हैं। मिश्र ने कहा कि उच्च शिक्षा का प्रयोजन यह भी है कि विद्यार्थी जाति, धर्म, समुदाय आदि की संकीर्णताओं से मुक्त हाें और योग्यता एवं गुणवत्ता उनकी पहचान का आधार बने।
उन्होंने कहा कि शिक्षा सांस्कृतिक प्रक्रिया है। समाजीकरण का माध्यम, शक्ति का स्रोत और शोषण से मुक्ति का मार्ग भी शिक्षा ही है। शिक्षा का व्यक्ति और समाज के विकास से गहरा रिश्ता है। राजा राममोहन राय, स्वामी विवेकानन्द, रवीन्द्रनाथ टैगोर, महात्मा गांधी और अम्बेडकर के शिक्षा-दर्शन एवं स्वतन्त्रता-आन्दोलन के संकल्पों से अपेक्षाओं के अनुरूप शिक्षा के ढांचें एवं मूल्यों को हमें आगे बढ़ाना हैं।
मिश्र ने कहा कि प्रतियोगिता और प्रतिस्पर्धा के इस दौर में वैश्विक चुनौतियों का सामना करने की क्षमता नई पीढ़ी में विकसित करनी होगी। विश्वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रमों को समयानुकूल, उपयोगी और अद्यतन बनाना होगा। कौशल-उन्मुख पाठ्यक्रम भी शुरू करने होंगे, जो विद्यार्थी को जीवन में सफल बना सकें। राज्यपाल ने विद्यार्थियों को उचित परिवेश उपलब्ध कराये जाने की आवश्यकता प्रतिपादित की।
उन्होंने कहा कि शोध एवं अनुसंधान में हमारे युवा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर कीर्तिमान स्थापित करें। विश्वविद्यालयों में संचालित शोध गतिविधियां छात्र की आलोचनात्मक एवं विश्लेषणात्मक क्षमता को विकसित करने का साधन होती हैं। हमें शोध को अकादमिक गुणवत्ता एवं सामाजिक उपयोगिता, दोनों दृष्टियों से प्रभावी बनाना होगा। इस अवसर पर मिश्र ने समारोह में छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक एवं उपाधियां प्रदान की।