नई दिल्ली। देश में कोरोना के तेज़ी से फैलते प्रकोप को देखते हुए आज करीब 30,000 से लोगों ने इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट की दसवीं बोर्ड की परीक्षा जुलाई में आयोजित किए जाने का विरोध किया है ।
काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन ने 19 मार्च को दसवीं बोर्ड की बची हुई हुए शेष पेपर की परीक्षा जुलाई के दूसरे सप्ताह में आयोजित करने की घोषणा की थी तब देश में केवल 236 लोग ही कोरोना वायरस से संक्रमित थे। लेकिन आज जब देश भर में करीब तीन लाख कोरोना के मरीज हो गए हैंं तो ऐसे में काउंसिल ने जुलाई में बोर्ड की परीक्षाएं आयोजित करने का फैसला किया गया।
इस फैसले के खिलाफ आज सुबह 9:00 बजे से अभिभावकों ने ट्वीट करना शुरू किया और 2 घंटे के भीतर 30000 लोगों ने ट्वीट करके इस फैसले का विरोध जताया है।
अभिभावकों ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा है कि जब देश में इतनी तेजी से कोरोना का प्रकोप फैल रहा है तो परीक्षा आयोजित करने के कारण होने वाली असुविधाओं के लिए कौन जिम्मेदार होगा। अगर कोई बच्चा संक्रमित हो जाता है या वह वह बीमार पड़ जाता है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। इन अभिभावकों ने यह भी कहा है कि बच्चों को परीक्षा केंद्र तक लाने ले जाने की परिवहन व्यस्था की जिम्मेदारी कौन लेगा। जब इजरायल के दोबारा स्कूल बंद कर दिए गए तो हमारे यहां क्यों परीक्षएँ ली जा रही है। आज परीक्षा से अधिक महत्वपूर्ण बच्चों की जान है।