सबगुरु न्यूज-सिरोही। सिरोही जिले में एक शिकायत में ऐसा सनसनीखेज मामला सामने आया है जो शायद पहले कभी सुना नहीं हो। शिकायत के अनुसार जिले में जमीनों की सरकारी दरें तय करने वाली जिला स्तरीय समिति की एक बैठक में ही कथित रूप से एक व्यक्ति को करोड़ों रुपये का फायदा पहुंचा दिया गया।
बनास गांव में रेलवे द्वारा डीएफसी के ओवरब्रिज के लिए आवप्त की जाने वाली भूमि की डीएलसी सिर्फ तीन महीने में ही तीन सौ प्रतिशत बढ़ा दी गई। इसकी शिकायत नई दिल्ली स्थित डेडीकेटेड फ्रेट काॅरीडोर काॅरपोरेशन आॅफ इंडिया लिमिटेड, डीएफसीसीआईएल के विजिलेंस ऑफिसर को की गई है।
आरटीआई से निकाले गए दस्तावेजों से यह पता चलता है कि जिस बैठक में कथित रूप से सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाने का प्रस्ताव लिया, उसमें सिरोही विधायक ओटाराम देवासी, पिण्डवाड़ा विधायक समाराम गरासिया और रेवदर विधायक जगसीराम कोली भी शामिल थे और बैठक की प्रोसिडिंग बिंदु संख्या दो के अनुसार इस निर्णय में इनकी भी सहमति थी।
शिकायतकर्ता ने यह शिकायत रेलवे और जिले के आठ अधिकारियों के खिलाफ की है, लेकिन इन अधिकारियों का कहना है कि यह निर्णय समिति का था और इसमें अधिकारी सिर्फ दरें बताने के लिए ही होते हैं।
-सिर्फ बनास की जमीन में ही 300 प्रतिशत की बढ़ोतरी
शिकायतकर्ता ने बताया कि पिण्डवाड़ा तहसील के बनास गांव में डीएफसीसीआईएल का ओवरब्रिज बनना है। इसमें रेलवे और राज्य सरकार दोनों का अंशदान होगा। उन्होंने बताया कि एक नेता को फायदा देने के लिए पहले रेलवे ने इसका डिजायन बदल दिया।
दूसरा रेलवे और राज्य सरकार से ज्यादा से ज्यादा फायदा लेने के लिए अवाप्तशुदा भूमि की डीएलसी में अप्रत्याशित वृद्धि करवाई गई, जिससे करीब तीन गुना अतिरिक्त राशि देनी होगी। शिकायत में बताया कि इस ओवरब्रिज में चंदनंसिह देवड़ा की बंद होटल तथा उनकी व उनके रिश्तेदारों की भूमियां आ रही है। उनका आरोप है कि इस जमीन की कीमत एक साल में दो बार में तीन सौ प्रतिशत तक बढ़ा दी गई।
सिरोही में तत्कालीन कलक्टर की अध्यक्षता में 27 जून, 2017 को सिरोही जिले की जमीनों की सरकारी दरें तय करने वाली जिला स्तरीय समिति की बैठक हुई। शिकायतकर्ता ने बताया कि इस बैठक से पूर्व इस जगह की वाणिज्यिक भूमि की डीएलसी 4196 रुपये प्रति वर्ग मीटर थी। जिसे 27 जून की बैठक में हाइवे से सौ मीटर तक की दूरी की व्यावसायिक भूमि की दरें 50 प्रतिशत बढ़ाकर 6 हजार 360 रुपये प्रति वर्गमीटर कर दिया गया।
यह दरें 28 जून से लागू हो गई। उन्होंने आरोप लगाया कि अजमेर स्थित पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग के महानिरीक्षक से कथित साठगांठ करके इसकी दर में 96 प्रतिशत की और वृद्धि करके 12 हजार 330 रुपये करवा दिया गया।
इस तरह से एक साल में ही इस जमीन की कीमत को डेढ़ सौ गुना तक बढ़वाई गई जबकि इसी क्षेत्र समेत जिले के शेष जगहों की कृषि, आवासीय और व्यावसायिक भूमियों की दरों में औसतन 10-15 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
-आरटीआई के दस्तावेज से ये तथ्य आए सामने
आरटीआई से इस संबंध मंे जो दस्तावेज निकाले गए उसके अनुसार इस भूमि की दरों की अप्रत्याशित बढ़ोतरी 27 जून को हुई जिस डीएलसी बैठक में की गई उसमें अध्यक्ष के साथ 18 सदस्य मौजूद थे, उनमें सरकारी अधिकारियों के अलावा सिरोही के तीनों विधायक भी शामिल थे। बैठक की प्रोसिडिंग के बिंदु संख्या दो में स्पष्ट उल्लेख है कि बैठक में बनास, चवरली और बसंतगढ़ में आवसीय और व्यावसायिक भूमि की दरों में 45 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की जाए।
आगे उल्लेख है कि समिति सदस्यों, जिनमें तीनों विधायक भी शामिल होते हैं, ने बनास के ग्रामों में बाजारी दर 50 प्रतिशत से अधिक करने की मांग की। इस पर समिति ने यह मामला अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर होने के कारण इसका प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवाने का निर्णय किया।
दस्तावेज बताते हैं कि इस बैठक से पूर्व बनास गांव में हाइवे से सौ मीटर दूरी तक भूमि की व्यावसायिक दर करीब 4 हजार 196 तथा आवासीय दर 2 हजार 690 थी। बैठक में 50 प्रतिशत वृद्धि के बाद इसे क्रमश; 6 हजार 360 और 4 हजार 100 रुपये प्रतिवर्ग मीटर कर दिया गया। वहीं पंजीयन विभाग के महानिरीक्षक ने इसमें 1 सितम्बर 2017 को 95.72 व 81.88 प्रतिशत वृद्धि करके इसे क्रमशः 12 हजार 320 तथा 7 हजार 456 रुपये प्रति वर्ग मीटर कर दिया। इस तरह से सिर्फ तीन महीने में ही इस जमीन की कीमत में करीब तीन गुना तक की बढ़ोतरी कर दी गई।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस क्षेत्र की कृषि भूमि में इस स्तर पर परिवर्तन नहीं किया गया है। इससे किसानों को नुकसान होगा और व्यापारियों को फायदा। शिकायतकर्ता के अनुसार पूर्व जिला प्रमुख चंदनसिंह देवड़ा की बंद पड़ी होटल भी इस ओवरब्रिज में आ रही है। ऐसे में जिस व्यक्ति को एक करोड़ का मुआवजा मिलना था, उसे तीन करोड़ और जिसे 8 करोड़ का मुआवजा मिलना था उसे सीधे 24 करोड़ रुपये मुआवजा मिलेगा।
-भूमि के लेंड यूज में भी परिवर्तन
शिकायतकर्ता ने शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि जब 29 अप्रेल, 2016 को बनास में ओवरब्रिज संख्या 108 के निर्माण करने की राज्य सरकार और रेलवे के बीच एमओयू हुआ उसके बाद भी बैकडेट में कई भूमियों का भू-उपयोग परिवर्तन किया गया।
इतना ही नहीं लेंडयूज परिवर्तन के बाद भी इन भूमियों पर परिवर्तन के अनुसार कोई निर्माण नहंी किया गया है। उन्होंने बताया कि पिण्डवाड़ा के तत्कालीन उपखण्ड अधिकारी के समक्ष इसकी आपत्ति दर्ज की थी, लेकिन उन्होंने इन्हें खारिज कर दिया।
-इनका कहना है….
मैने किसी भी जगह की भूमि की डीएलसी परिवर्तन की बैठक मंे सहमति नहीं दी थी। नियमानुसार रेवदर विधानसभा क्षेत्र की डीएलसी परिवर्तन का सुझाव जरूर दिया था। मेरा क्षेत्र नहीं होने से बनास क्षेत्र की जमीन की दर परिवर्तन का मैने कोई सुझाव नहीं दिया था।
जगसीराम कोल
विधायक, रेवदर।
ये प्रस्ताव अकेले समाराम गरासिया ने नहीं रखा था। बैठक के सभी सदस्यों ने यह कहा था कि बनास की भी दरें अजारी और शेष स्थानों जितनी होनी चाहिए। यह अकेले मेरा प्रस्ताव नहीं था।
समाराम गरासिया
विधायक, पिण्डवाड़ा।
मै अभी जोधपुर हूं। एक कार्यक्रम में व्यस्त हूं। इस मुद्दे पर कल सिरोही आकर बात करता हूं।
ओटाराम देवासी
विधायक, सिरोही।
मै उस समय आया ही था। हमारे पास सिर्फ यहां की व्यावसायिक और आवासीय भूमि की दरें 50 प्रतिशत तक वृद्धि करने का प्रस्ताव आया था राज्य सरकार के आदेशानुसार वही किया। इससे ज्यादा की बढ़ोतरी का प्रस्ताव बैठक के सदस्य जनप्रतिनिधियों ने रखा था, जिसे हमने राज्य सरकार को भेज दिया था। शेष बढ़ोतरी वहीं से हुई।
संदेश नायक
तत्कालीन जिला कलक्टर, सिरोही।