नयी दिल्ली सरकार ने 1980 के दशक में भारत विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहे सिख समुदाय के लोगों की प्रतिकूल सूची से 312 विदेशी सिख नागरिकों के नाम हटा दिये हैं और अब इस सूची में केवल दो ही लोगों के नाम रह गये हैं। इस निर्णय से विदेशी सिख नागरिकों के लिए भारत लौटने, अपने परिवार से मिलने और अपनी जड़ों से फिर से जुड़ने का मार्ग खुलेगा।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि विभिन्न जांच एजेन्सियों ने विदेशी सिख नागरिकों की इस सूची की हाल ही में समीक्षा की थी जिसके बाद यह निर्णय लिया गया है। इस तरह की सूचियों की समीक्षा एक सतत, गतिशील और नियमित प्रक्रिया है। अधिकारी ने प्रतिबंधित सूची में शामिल दो विदेशी सिख नागरिकों के नाम नहीं बताये हैं।
अधिकारी ने बताया कि 1980 के दशक में सिख समुदाय से संबंधित कई भारतीय नागरिक और विदेशी सिख भारत-विरोधी प्रचार में शामिल हो गये थे। कुछ भारतीय सिख नागरिकों ने कानून से बचने के लिए देश के बाहर शरण ले ली और विदेशी नागरिक बन गए। उन्हें 2016 तक प्रतिकूल सूची में रखा गया था जिसके चलते उन्हें भारत आने के लिए वीज़ा सेवाओं का लाभ उठाने के अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
इसके अलावा, विदेशों में भारतीय मिशनों में स्थानीय प्रतिकूल सूचियों के चलते सिख समुदाय के ज्यादातर लोगों और उनके परिवार के सदस्यों को कांसुलर/वीज़ा सेवाएं लेने में परेशानी का सामना करना पड़ता था। अब स्थानीय प्रतिकूल सूचियों की परंपरा बंद कर दी गयी है। विदेशों में सभी भारतीय मिशनों को सलाह दी गई है कि सिख समुदाय के ऐसे व्यक्तियों और उनके परिवार के सदस्यों, जिनके नाम केंद्रीय प्रतिकूल सूची में शामिल नहीं हैं, को अन्य श्रेणियों के आवेदकों से संबंधित प्रक्रिया के अनुसार उचित वीज़ा प्रदान करें।
उन्होंने कहा कि सभी श्रेणियों के ऐसे शरणार्थी जो दीर्घकालिक वीज़ा के योग्य हैं वह भारत के प्रवासी नागरिक (ओसीआई) कार्ड पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकेंगे लेकिन इसके लिए उनके पास दो साल की अवधि के लिए सामान्य भारतीय वीज़ा होना