नई दिल्ली। सूचना का अधिकार (आरटीआई) दिवस 2022 की पूर्व संध्या पर जारी एक रिपोर्ट के अनुसार 2005 से अब तक कुल 4.2 करोड़ लोगों ने सरकार की विभिन्न एजेंसियों से सूचनाएं प्राप्त करने के लिए आरटीआई अधिनियम का इस्तेमाल किया है। देश में सूचना का अधिकार दिवस 12 अक्टूबर को मनाया जाता है।
ट्रांसपैरेंसी इंटरनेशनल इंडिया (टीआईआई) की इस छठी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान देश के सूचना आयोगों के समक्ष अब तक करीब 26 लाख द्वितीय अपील एवं शिकायत दर्ज की गई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय और राज्य स्तरीय सूचना आयोगों में कुल 165 पदों में दो मुख्य सूचना आयुक्त सहित 42 पद रिक्त हैं।
टीआईआई द्वारा मंगलवार को जारी इस रिपोर्ट के अनुसार राज्यवार सूचना के अधिकार के प्रयोग में सबसे ज्यादा सूचनाएं केंद्र सरकार और उसके संगठनों से मांगी गई हैं। इसके बाद महाराष्ट्र, तमिलनाडु एवं केरल का स्थान है।
रिपोर्ट के अनुसार आरटीआई के तहत केन्द्र के बाद जिन सरकारों से सबसे ज्यादा जानकारियां मांगी गईं उनमें पांच अग्रणी राज्यों में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, एवं राजस्थान हैं। संख्या के आधार पर सबसे कम प्रयोग करने वाले राज्यों में मणिपुर, सिक्किम, मिजोरम, मेघालय तथा अरूणाचल प्रदेश का स्थान है। उत्तर प्रदेश और बिहार के आँकड़े समय से प्रकाशित ना होने के कारण इन राज्यों के आंकड़े कम है।
टीआईआई ने कहा है कि अधिकतर राज्य सूचना आयोगों ने कई वर्ष से वार्षिक रिपोर्ट नहीं प्रकाशित की। रिपोर्ट के अनुसार केवल 10 राज्य के आयोगों ने वर्ष 2020 की वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित की, वार्षिक रिपोर्ट के मामलों में छत्तीसगढ़, गुजरात , राजस्थान अरुणाचल प्रदेश एवं मिजोरम का प्रदर्शन सबसे बेहतर है।
इसमें कहा गया है कि आरटीआई के क्रियान्वयन एवं निष्पादन के आधार पर टीआईआई द्वारा किये गये विश्लेषण में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 के दौरान अधिकांश राज्य सूचना आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट के प्रकाशन की समय सीमा का पालन नहीं किया। केन्द्रीय सूचना आयोग सहित कुछ राज्यों ने ही साल 2020-21 एवं 2019 -20 तक अपनी वार्षिक रिपोर्ट को प्रकाशित किया था।
रिपोर्ट के अनुसार केंद्र एवं 10 राज्यों में ऑनलाइन आरटीआई अपील/आवेदन फाइलिंग पोर्टल चालू किए हैं जिनमें से आधे ही काम कर रहे हैं। टीआईआई की रिपोर्ट का कहना है कि सूचना का अधिकार अधिनियम आने के 17 वर्ष बाद भी व्याप्त गोपनीयता की कार्यसंस्कृति के कारण अधिकारियों की सोच में परिवर्तन की रफ़्तार धीमी है।
रिपोर्ट के अनुसार कानून के तहत सूचना का अधिकार मिलने के 17 वर्षों (2005-2022 ) में उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर देश के 4.2 करोड़ से अधिक ने इस अधिकार का इस्तेमाल किया है और 26 लाख से अधिक द्वितीय अपील एवं शिकायत सूचना आयोग में भेजी गई।
आरटीआई अधिनियम धारा 19(3) एवं धारा 18 के तहत इस दौरान कुल दर्ज कराई गई द्वितीय अपील एवं शिकायतों की संख्या करीब 26.25 लाख है। इनमें संख्या के आधार पर क्रमश: तमिलनाडु, महाराष्ट्र, केन्द्रीय सूचना आयोग सबसे ऊपर हैं।
टीआईआई के कार्यकारी निदेशक रमा नाथ झा ने कहा कि कानून लागू होने के 17 साल बाद भी देश में शक्तिशाली कुर्सियों पर बैठे लोगों की मानसिकता नहीं बदली हैं, वो सूचना देने की जगह टालमटोल करने में यकीन रखते हैं। आंकडों से पता चलता है कि 60 प्रतिशत से ज्यादा आरटीआई अर्जियां गांवों से लगाई जाती हैं न कि आरटीआई कार्यकर्ताओं द्वारा।
झा ने बयान में कहा कि 17 वर्ष में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण आरटीआई की शक्ति कम हो गई है। लोक कल्याण एवं महत्वपूर्ण मामलों में सूचना अनुरोधों को बिना वज़ह खारिज कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि आरटीआई कार्यकर्ताओं और व्हिसलब्लोवर के खिलाफ हमलों और धमकियों के वज़ह से भी इस क़ानून की धार कमजोर हुई है।