नयी दिल्ली न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट्ट, न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के तौर पर शपथ ली।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने उन्हें अपने पद की शपथ दिलाई। इसके साथ ही शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की संख्या अधिकतम क्षमता के मुताबिक 34 हो गई है। न्यायाधीशों की संख्या बढाये जाने और फिलहाल एक भी रिक्ति नहीं होने के कारण उच्चतम न्यायालय में कुछ नियमों में बदलाव भी हुए हैं।
पहले शीर्ष अदालत में कम से कम दो न्यायाधीश की पीठ सुनवाई करती थी, लेकिन इसमें बदलाव किया गया है, जिनके तहत सात साल की सजा तक के अपराध में जमानत, अग्रिम जमानत याचिकाओं के अलावा स्थानांतरण याचिकाओं पर एकल पीठ सुनवाई करेगी।
सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या 34 होने के साथ ही अब इतिहास में पहली बार देश की सबसे बड़ी अदालत में 17 अदालत कक्षों में कामकाज होगा। अभी तक इनकी संख्या 15 थी।
गौरतलब है कि गत अगस्त में संसद में उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को छोड़कर न्यायाधीशों की संख्या 30 से बढ़ाकर 33 करने का प्रस्ताव पारित किया था और राष्ट्रपति के अनुमोदन के साथ ही इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई थी।