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राजस्थान में कोरोना संक्रमितों का आंकडा बढा, भीलवाड़ा में थमा - Sabguru News
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राजस्थान में कोरोना संक्रमितों का आंकडा बढा, भीलवाड़ा में थमा

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राजस्थान में कोरोना संक्रमितों का आंकडा बढा, भीलवाड़ा में थमा
413 people coronavirus infected in Rajasthan
413 people coronavirus infected in Rajasthan

भीलवाड़ा। राजस्थान में सबसे पहले 19 मार्च को छह कोरोना पॉज़िटिव पाए जाने वाले भीलवाड़ा शहर में स्वास्थ्य विभाग ने स्थानीय प्रशासन के सहयोग से कोरोना वायरस की चैन को तोड़ दिया है, यहां गत नौ दिन में यहां एक भी कोरोना संक्रमित नया रोगी नहीं मिला है, वहीं अस्पताल में भर्ती सभी रोगी स्वस्थ होकर कोरोनामुक्त हो गए हैं।

पिछले महीने भीलवाड़ा में 27 मरीज कोरोना संक्रमण से ग्रसित हो गए तो भीलवाड़ा को बारूद के ढेर पर बैठा होने की घोषणा कर दी गई। इस पर यहां कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भीलवाड़ा के हालात पर जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट से चर्चा कर कर्फ़्यू लगाने की स्वीकृति दी और जिले की सभी सीमाओं को सील करने के निर्देश दिए।

शुरू में जिले के 25 लाख लोगों को घरों में क़ैद रखना एक मुश्किल काम लग रहा था पर भयभीत लोगों ने स्वप्रेरणा से घरों में अपने आपको बंद कर लिया। इसके बाद मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के साथ जयपुर में उच्चस्तरीय अधिकारियों के समन्वय और निर्देश से सरकारी मशीनरी ने प्रदेश के पहले कोरोना के मुख्य केंद्र को पूरे देश के लिए अनुकरणीय उदाहरण में तब्दील कर दिया। वर्तमान में 27 संक्रमित मरीज़ों में से 17 पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं और लोगों के मन से महामारी और मौत का डर निकल चुका है।

भीलवाड़ा में कोरोना संक्रमण का मुख्य केंद्र शहर का बृजेश बांगड़ मेमोरियल अस्पताल था, लेकिन जिले के ग्रामीण क्षेत्रों और पड़ौसी जिलों पर इसका असर होना निश्चित था। अस्पताल में इलाज के लिए एक माह में आए पांच हज़ार से अधिक रोगियों और उनके सम्पर्क में आने वालों की पहचान करना करीब असंभव कार्य था। जिला कलक्टर राजेंद्र भट्ट ने ग्राम स्तर पर सर्वे के लिए अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रशासन राकेश कुमार को कमान सौंपी। सिर्फ सात दिन में जिले में 22 लाख से अधिक लोगों का सर्वे कर लिया गया। सर्वे से प्रशासन के सामने जिले की स्वास्थ्य सम्बन्धी एक स्पष्ट तस्वीर उभर कर आई।

प्रदेश में बांगड़ अस्पताल के डाॅक्टर्स एवं नर्सिंग स्टाफ के संक्रमित होने की पुष्टि होने से भीलवाड़ा अचानक एक हाट स्पाट के रुप में सामने आ गया था। सबसे बड़ी समस्या संक्रमितों के निकट सम्पर्कियों की पहचान और उनकी सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित करना थी। संक्रमण को कम्यूनिटी संक्रमण में बदलने से रोकने के लिए लगातार लिए गए त्वरित निर्णय मील के पत्थर साबित हुए।

चिकित्सा विभाग के माध्यम से शहरी सीमा में सर्वे कर लोगों के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी हासिल की जा रही थी तो वहीं ग्रामीण क्षेत्रा में जमीनी स्तर की मशीनरी को इसके लिए उपयोग में लाया गया।

इसके लिए राजस्व , ग्रामीण विकास व पंचायती राज, शिक्षा, कृषि, चिकित्सा आदि विभाग के सबसे निचले स्तर के तीन-तीन कार्मिकों की 1948 टीम बनाई गई। करीब छह हजार लोगों को एक साथ फील्ड में झौंक कर सात दिन के भीतर जिले के पूरे ग्रामीण क्षेत्राें का सर्वे कर लिया गया। यह इतना आसान नहीं था। जमीनी स्तर पर हुए सर्वे की रिपोर्ट उपखंड स्तर से होकर उसी दिन जिला स्तर तक पहुंचाना होता था।

अतिरिक्त कलक्टर प्रशासन की कोर टीम रात को तीन बजे तक आंकड़े संग्रहण का कार्य करती थी। त्वरित डाटा संग्रहण के परिणामस्वरूप प्रशासन को अगले निर्णय लेने में काफी आसानी रही।

पहले चरण के सर्वे में 16 हजार से अधिक ऐसे व्यक्तियों की पहचान की गई जो सामान्य सर्दी-जुकाम से पीड़ित थे। इन्हे घर में ही रहते हुए सोशल डिस्टेंस की पालना करने और स्वच्छता की आदतें अपनाने की सलाह दी गई।

दूसरे चरण में इन्ही लोगों पर फोकस किया गया। जिन्हें अभी भी सर्दी-जुकाम की शिकायत थी, उनका मेडीकल स्क्रीनिंग करवाया जा रहा है। इनमें से संदिग्धों को भीलवाड़ा मुख्यालय पर कोरोना की जांच के लिए लाया जा रहा है। जिले में अभी तक लिए गए करीब ढाई हजार से ज्यादा नमूने में अधिकांश ये लोग शामिल हैं। स्थानीय प्रशासन के निर्णय और दूरगामी सोच वाले फैसलों ने भीलवाड़ा को देश में एक मिसाल के रुप में स्थापित कर दिया है जिसकी पूरे देश में प्रशंसा हो रही है।

बाड़मेर में मिला पहला कोरोना पॉजिटिव

राजस्थान के बाड़मेर जिले में गुरुवार को कोरोना वायरस का पहला पोजिटिव पाया गया है।आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जिले के सरहदी गांव सरकारी उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। जिला प्रशासन को सूचना मिलते ही अर्धरात्रि एक बजे गांव में कर्फ्यू लगाकर सीमाएं सील कर दी गई।

सूत्रों ने बताया कि यह प्रधानाध्यापक जयपुर से दो दिन पहले ही दो साथियों के साथ ड्यूटी पर लौटा था। बाहरी जिले से आने के चलते इनके नमूने जांच के लिए भेजे, जिसकी रिपोर्ट देर रात जिला कलेक्टर विश्राम मीणा को मिली। मीणा ने रात्रि को ही गांव और आसपास के क्षेत्र को सील करके गांव में कर्फ्यू लगा दिया।

मीणा ने बताया कि मेडिकल दलों को घर घर जांच के लिए भेज दिया गया है। गांव को सेनेटाइज करवाया जा रहा हैं साथ ही गांव से किसी को बाहर जाने और गांव के अंदर आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्रधानाध्यापक के सम्पर्कों की जानकारी ली जा रही है।

बारां जिले से आवाजाही पर रोक

राजस्थान में बारां के जिला कलक्टर इन्द्र सिंह राव ने कहा है कि जिले से किसी भी व्यक्ति को अन्य जिलों में आवाजाही की स्वीकृति नहीं दी जाएगी। राव ने आज कहा कि पड़ौसी जिलों कोटा, झालावाड़ सहित सीमा पार मध्यप्रदेश के शिवपुरी एवं श्योपुर जिलों में कोरोना वायरस संक्रमण ने उपस्थिति दर्ज करा दी है। ऐसे में बारां जिले को कोरोना वायरस के संक्रमण से मुक्त रखना चुनौतीपूर्ण कार्य है, लेकिन सतर्कता एवं सख्त निर्णय लेकर इस संकट से बचाव के लिये हरसंभव प्रयास किए जाएंगे।

उन्होंने बताया कि जिले में की सीमाओं को पूर्णतया सील कर दिया गया है। किसी भी बाहरी व्यक्ति को जिले में प्रवेश की इजाजत नहीं दी जाएगी साथ ही जिले से कोई व्यक्ति बाहर भी नहीं जा सकेगा। सिर्फ अत्यावश्यक सेवाओं के तहत ही विशेष परिस्थितियों में छूट दी जाएगी।