नई दिल्ली। रेलवे सुरक्षा बल ने अवैध सॉफ्टवेयर की मदद से कंफर्म तत्काल रेल टिकट का धंधा करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश करते हुये गिरोह के सरगना समेत 50 लोगों को गिरफ्तार किया है।
आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने बताया कि गिरोह के सरगना शुभांदू विश्वास ने सिस्टम डेवलपर चंद्र गुप्ता के साथ मिलकर ‘रेयर मैंगो’ के नाम से एक सॉफ्टवेयर विकसित किया था जिसका नाम बाद में ‘रियल मैंगो’ कर दिया गया। पांच स्तरीय प्रबंधन ढांचे के तहत ये सॉफ्टवेयर बेचते थे जिसमें अंतिम स्तर पर एजेंट हुआ करते थे।
यह सॉफ्टवेयर एक साथ कई अकाउंट से आईआरसीटीसी पर लॉगइन करता था और उसके बाद टिकट की पूरी बुकिंग अपने-आप होती थी। सॉफ्टवेयर की मदद से यात्री और यात्रा का विवरण अपने-आप भरा जाता था। ‘वी3’ और ‘वी2’ कैप्चा को यह सॉफ्टवेयर बाईपास कर देता था।
पैसों का भुगतान करने वाले पेज पर बैंक का विवरण भी सॉफ्टवेयर अपने-आप भर देता था। साथ ही बैंक से आने वाला ओटीपी भी अपने-आप भरा जाता था। इस प्रकार कुछ ही सेकेंड में सिर्फ एक कंप्यूटर से कई टिकट बुक हो जाते थे।
शुभांदू विश्वास को छह सितंबर को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद चंद्र गुप्ता को भी आरपीएफ ने गिरफ्तार कर लिया। कुल 50 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पांच लाख रुपए से अधिक के टिकट रद्द किए गए हैं।
कुमार ने बताया कि आरपीएफ को अवैध रूप से कंफर्म तत्काल टिकट दिलाने वाले लोगों पर कार्रवाई के दौरान 9 अगस्त को इस सॉफ्टवेयर के बारे में पहली जानकारी मिली थी। उत्तर-मध्य रेलवे, पूर्व रेलवे और पश्चिम रेलवे की आरपीएफ टीमों कुछ संदिग्धों को गिरफ्तार कर पूछताछ की। पूछताछ के दौरान उन्हें पता चला कि यह सॉफ्टवेयर किस प्रकार काम करता है। रेलवे की आरक्षण प्रणाली को इस सॉफ्टवेयर से पूरी तरह सुरक्षित कर लिया गया है।
‘रियल मैंगो’ सॉफ्टवेयर का लाइसेंस 84 डॉलर में बेचा जाता था, फिर पेटीएम के माध्यम से इस राशि को बिटक्वाइन में बदल लिया जाता था। सरगना के पास राशि बिटक्वाइन में पहुंचती थी। सभी आरोपियों ने बड़ी संख्या में ईमेल आईडी, आईआरसीटीसी की लॉगइन आईडी और पेटीएम अकाउंट बना रखे थे। उनके पास से कई-कई मोबाइल फोन नंबर भी मिले हैं।
पिछले साल दिसंबर से अबतक रेलवे ने तत्काल टिकट आरक्षण प्रणाली में सेंधमारी करने वाले कई गिरोहों का पर्दाफाश किया है। दिसंबर 2019 से मार्च 2020 के बीच इस सिलसिले देश भर में 104 गिरफ्तारियां हुईं और 9.92 करोड़ रुपए के टिकट रद्द किये गए।
उस समय एएनएमएस, रेड मिर्ची, ब्लैक टीएस, टिकटॉक, आई-बॉल, रेड बुल, एमएसी, एन-गेट, साइकिल और स्टार-वी2 नामक सॉफ्टवेयर से अवैध रूप से टिकट बुकिंग का पता चला था। रेलवे का दावा है कि उसके बाद टिकट आरक्षण प्रणाली को और मजबूत किया गया था।