उदयपुर । जीवन भर के लिए रिश्तों की डोर बंधी तो मन बार-बार हर्षित हुआ। यादगार लम्हों के साक्षी बनें अपनों के दुलार ने जीवन के हर दर्द को भुला दिया। उमंगों से परिपूर्ण दिव्य वातावरण में दिव्यांगता का दंश पीछे छूट अतीत में खो गया और नए जीवन साथी के साथ जीवन की नई राहों ने दस्तक दी। शाही इंतजामों के बीच नाते-रिश्तेदारों, दोस्तों ने हंसी-ठिठौली के बीच खूब स्नेह लुटाया। देशभर से आए धर्म माता-पिता के सान्निध्य ने अभिभूत और भावुक कर दिया। गणमान्यजनों की मौजूदगी ने दिव्य आयोजन की आभा में चार-चांद लगा दिए।
हजारों लोगों की साक्षी में यह अनूठा अवसर था नारायण सेवा संस्थान की ओर से लियों का गुड़ा बड़ी स्थित मुख्यालय पर रविवार को आयोजित हुए 31वें भव्य विशाल नि:शुल्क दिव्यांग एवं निर्धन सामूहिक विवाह समारोह का। इसमें देश के विभिन्न राज्यों से आए 52 जोड़े पारम्परिक रस्मो रिवाज से सात जन्मों के बंधन में बंधे। नारायण सेवा संस्थान के संस्थापक कैलाश ‘मानव’, सह संस्थापिका कमलादेवी अग्रवाल, अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल, निदेशक वंदना अग्रवाल, ट्रस्ट्री देवेंद्र चौबीसा, जगदीश आर्य के सान्निध्य में हुए इस समारोह में आशीर्वाद, आशीर्वचन, आस्था और अपनेपन की अद्भुत झलक देखने को मिली। विवाह समारोह का जो भी साक्षी बना, भाव-विभोर हो गया।
शुभ मुहूर्त में विवाह समारोह की रस्मों की शुरुआत हुई जिसमें दूल्हों ने नीम की डाली से तोरण की रस्म अदा की। इसके बाद संस्थान परिसर में बने विशाल पांडाल में देशभर से आए हजारों लोगों की मौजूदगी में वरमाला एवं आशीर्वाद समारोह हुआ। शादी के जोड़ों में सजे दूल्हा-दुल्हन ने बारी-बारी से एक-दूसरे को वरमाला पहना हमेशा के लिए रिश्ते की डोर को अपनेपन के उल्लास के साथ जोड़ दिया। तालियों की गडग़ड़ाहट, मंगल गीतों की आह्लादित करती वेला में विशेष तौर पर बनाए गए हाइड्रोलिक मंच पर पांच जोड़ों की वरमाला दृश्य तो बस देखते ही बन पड़ा।
घूमते हुए मंच पर पुष्प वर्षा व भव्य आतिशबाजी के बीच वर-वधू ने वरमाला की रस्म अदा की तो खचाखच भरे डोम व उसके बाहर मौजूद हजारों लोगों ने बार-बार करतल ध्वनि से स्वागत किया। उनके फोटो व सेल्फी लेने की भी होड़ मच गई। जोड़ों में कोई दूल्हा दिव्यांग था, तो कोई दुल्हन, तो कोई दोनों मगर उत्साह सबका देखते ही बना। वरमाला के दौरान कोई दूल्हा कृत्रिम उपकरणों की मदद से वरमाला लिए कोई आगे बढ़ा तो कोई जमीन पर हाथों व पैरों की मदद से, तो कहीं कोई व्हील चेयर पर वरमाला लिए बढ़ा। इस दौरान विवाह के पारम्परिक व फिल्मी गीतों व धुनों पर पूरा पांडाल ही थिरक उठा। इससे पूर्व अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल, निदेशक वंदना अग्रवाल आदि एक डोली में दुल्हन को लेकर पहुंचे तो पूरा पांडाल ही थिरक उठा।
समारोह में अतिथि जिसमें रानी दुलानी मुम्बई, पंकज चौधरी हैदराबाद, कुसुम गुप्ता दिल्ली, अलका चौधरी हैदराबाद, प्रेम निजमन दिल्ली, हरी निवास जी आगरा, प्रभुनाथ सिंह इलाहबाद, राधा रानी फरीदाबाद, विजेंद्र दत्त दिल्ली आरएस अरोड़ा दिल्ली, बालकृष्ण तिवारी इंदौर, ने आशीर्वचन प्रदान किए।
वरमाला के बाद विवाह स्थल पर ही तैयार वेदियों पर मुख्य आचार्य के मार्गदर्शन में विवाह की सभी रस्में विधि-विधान के साथ संत समुदाय की मौजूदगी व धर्म माता-पिता के आशीर्वाद के बीच संपन्न हुईं। पाणिग्रहण संस्कार के बाद विवाह की अन्य रस्में हुईं। वर-वधुओं को आशीर्वाद प्रदान करने दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुडग़ांव, जोधपुर, इंदौर, आगरा, नागपुर, हैदराबाद, अलीगढ़, पूना, राजकोट, देहरादून, पटना, बड़ौदा सहित देश के कई राज्यों व शहरों से संस्थान के सहयोगी एवं अतिथिगण पधारे।
समारोह में आयोजक समितियों के दल्लाराम पटेल, रोहित तिवारी, दीपक मेनारिया, मनीष परिहार, भगवती मेनारिया, दिनेश वैष्णव, कुलदीप शेखावत, अम्बालाल, जितेंद्र गौड़, दिग्विजय सिंह, अनिल आचार्य और रजत गौड़,विभिन्न व्यवस्थाओं में सहभागी बने। संचालन महिम जैन ने किया। विदाई की वेला में भर आई आंखें शादी की खुशियों के बीच जब दिव्यांग बहनों की विदाई की वेला आई तो पांडाल में मौजूद सभी लोागें की आंखों से अपनेपन के आंसू छलक आए। दूल्हनों को डोली में बिठाया गया। परिजनों, मित्रों के साथ ही धर्म माता-पिता ने मंगल आशीष के साथ बेटियों को विदा किया। परिजनों ने नारायण सेवा संस्थान परिवार का आभार जताया।
संस्थान की ओर से सभी जोड़ों को उनके गांव, शहर में स्थित निवास स्थान तक छोडऩे के लिए विशेष बस, कारों व अन्य वाहनों की नि:शुल्क व्यवस्था की गई। जोड़ों को गृहस्थी के लिए आवश्यक सामान के रूप में थाली, कटोरी, गिलास, स्टील की कोठी, बर्तन, कूकर, क्राकरी, सिलाई मशीन, डिनर सेट, गैस चूल्हा, कंबल, बेडशीट्स, तकिया, घड़ी, साडिय़ां, पेंट-शर्ट्स, सोने का मंगलसूत्र, चांदी की पायल, बिछिया, अंगूठी सहित अन्य घरेलू उपहार सामग्री आदि प्रदान किए गए। इसके साथ ही धर्म माता-पिता की ओर से भी उपहार दिए गए। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंदरा राजे की ओर से राजस्थान सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा ऐसे भव्य आयोजन के लिए प्रशस्ति पत्र भेंट किया।