नयी दिल्ली | केंद्र सरकार ने तीन लाख से अधिक ग्रामीण डाक सेवकों (जीडीएस) के वेतन-भत्तों में 56 प्रतिशत की वृद्धि कर दी है और इस पर कुल 1250 करोड़ रुपये से अधिक खर्च आयेगा।
सरकार ने इन ग्रामीण डाक सेवकों से वेतन वृद्धि की मांग को लेकर अपनी हड़ताल वापस लेने की भी अपील की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में यहां हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस बाबत फैसला लिया गया। संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि सरकार के इस फैसले से तीन लाख सात हजार ग्रामीण डाक सेवक लाभान्वित होंगे। उन्होंने बताया कि 2018-19 के दौरान 1257 करोड़ 75 लाख रुपये खर्च आयेंगे। इनमें 860.95 करोड़ रुपये के गैर-आवर्ती और 396.80 करोड़ रुपये आवर्ती खर्च शामिल हैं।
सरकार ने ग्रामीण डाक सेवकों को दो श्रेणियों- ब्रांच पोस्ट मास्टर (बीपीएम) और ब्रांच पोस्टर से इतर जैसे असिस्टेंट ब्रांच पोस्ट मास्टर (एबीपीएम) में बांटा है। न्यूनतम चार घंटे के लिए बीपीएम स्तर के ग्रामीण डाक सेवकों को बढ़े हुए वेतन के रूप में 12 हजार रुपये जबकि न्यूनतम पांच घंटे के लिए 14,500 रुपये मिलेंगे । एबीपीएम के मामले में यही आंकड़ा क्रमश: 10 हजार और 12 हजार रुपये होगा। नयी योजना के तहत 7000 रुपये की सीमा तक टीआरसीए एवं महंगाई भत्ते की गणना के साथ अनुग्रह बोनस जारी रखने का निर्णय लिया गया है। एक जनवरी 2016 से संशोधित वेतनमान के लागू होने की तिथि तक की अवधि के लिए बकाये की गणना 2.57 गुणक के साथ बढ़े हुए मूल वेतन और टीआरसीए के अनुसार की जाएगी। बकाया राशि का भुगतान एकमुश्त किया जायेगा।
वार्षिक बढ़ोतरी तीन फीसदी की दर से होगी और वह हर साल पहली जनवरी अथवा पहली जुलाई को दी जा सकती है, जो ग्रामीण डाक सेवकों के लिखित आग्रह पर आधारित होगी। सरकार ने कार्यालय रख-रखाव भत्ता, एकीकृत ड्यूटी भत्ता, नकदी लाने-ले जाने संबंधी भत्ते, साइकिल रखरखाव भत्ता, नाव भत्ता और निर्धारित स्टेशनरी शुल्क में भी संशोधन किया है।
ग्रामीण डाक सेवकों के वेतन भत्तों में संशोधन किए जाने से ग्रामीण क्षेत्रों में कुशल एवं सस्ती बुनियादी डाक सुविधाओं को बेहतर करने में मदद मिलेगी। प्रस्तावित वेतन वृद्धि से ये ग्रामीण डाक सेवक अपनी सामाजिक-आर्थिक स्थिति सुधार पायेंगे। ग्रामीण डाक सेवकों को बहाल करने की मुख्य विशेषता यह है कि वे तीन से पांच घंटे प्रतिदिन अंशकालिक कार्य करते हैं और इससे प्राप्त आय उनके मुख्य आय का पूरक है जो उनके लिए अपने परिवार का भरण पोषण करने का एक साधन है। वे 65 वर्ष की आयु तक सेवा में बने रह सकेंगे।