रांची। अविभाजित बिहार के अरबों रुपए के बहुचर्चित चारा घोटाले में डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपए अवैध निकासी से जुड़े आरसीए 47ए/96 मामले में मंगलवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके शशि की अदालत ने मंगलवार को राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद समेत 75 आरोपियों को दोषी करार दिया, जबकि मामले में 24 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है।
सीबीआई के अधिवक्ता बीएमपी सिंह ने स्पेशल कोर्ट के फैसले के बारे में यह जानकारी देते हुए बताया कि रांची सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश एसके शशि की अदालत अब 21 फरवरी को लालू प्रसाद के खिलाफ भादवि की धारा 120बी, 409, 420, 467, 468, 471, 477 ए और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराएं 13 (2) आरडब्ल्यू 13(1) सी-डी के तहत सजा के बिंदु पर सुनवाई होगी।
दोषी करार दिए गए 75 में से 34 आरोपियों को तीन या उससे कम की सजा हुई है जिसके बाद उन्हें जमानत के लिए बेल बॉण्ड भरने को कहा गया है। वहीं लालू प्रसाद समेत 41 अभियुक्तयों के सजा के बिन्दुओं पर 21 को सुनवाई होगी। प्रसाद को दोषी करार दिए जाने के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में ले लिया गया। बाद में प्रसाद को बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार भेज दिया गया।
सीबीआई के अधिवक्ता ने बताया कि इस मामले में कुल 170 लोगों के खिलाफ चार्जशीट किया गया था, जिसमें सुनवाई के दौरान 55 आरोपियों का निधन हो गया, 8 आरोपी सरकारी गवाह बन गये, दो सुनवाई के पहले ही सजा स्वीकार कर लिया, 8 आरोपी आज तक लापता है।
वहीं आज 24 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया गया, 34 को 3 साल या उससे कम की सजा मिली है और दोषी करार दिये गये लालू प्रसाद समेत 41 अभियुक्तों को सजा के बिन्दुओं पर 21 फरवरी को सुनवाई होगी। आज जिन दो राजनेताओं को दोषी करार देने के साथ तीन साल की सजा सुनाई गई, उनमें पूर्व विधायक ध्रुव भगत भगत और पूर्व विधायक एवं पूर्व सांसद जगदीश शर्मा शामिल है।
उल्लेखनीय है कि डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ की अवैध निकासी का यह मामला है। मामले में शुरुआत में 170 आरोपी थे, इसमें से 55 आरोपियों की मौत हो गई। सुशील झा और पीके जायसवाल ने निर्णय पूर्व दोष स्वीकार कर लिया। मामले में आठ आरोपी फरार है। मामले में सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से 575 गवाहों की गवाही दर्ज कराई गई। बचाव पक्ष की ओर से 25 गवाह पेश किए गए हैं। सीबीआई ने कोर्ट के समक्ष 16 ट्रक दस्तावेज अदालत में प्रस्तुत किया था।
दो घंटे में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद होटवार जेल से फिर रिम्स पहुंचे
अविभाजित बिहार के अरबों रुपए के बहुचर्चित चारा घोटाले मामले में मंगलवार को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एस के शशि की अदालत ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद को दोषी करार देने के साथ ही उन्हें हिरासत में ले लिया और नियम के मुताबिक उन्हें जेल भेज दिया।
इस बीच प्रसाद के अधिवक्ता की ओर से उनकी बढ़ती उम्र तथा बीमारियों को ध्यान में रखते हुए अस्पताल भेजने का आग्रह किया गया। जिसके बाद अदालत ने जेल सुपरीटेंडेंट को नियमानुसार कार्रवाई का निर्देश दिया।
करीब सवा दो बजे आज लालू प्रसाद को कड़ी सुरक्षा के बीच सीबीआई कोर्ट से होटवार जेल ले जाया गया। इस बीच जेल अधीक्षक ने तत्काल मेडिकल टीम का गठन कर लालू प्रसाद के स्वास्थ्य की जांच शुरू की। स्वास्थ्य जांच को लेकर रांची के सिविल सर्जन को भी विशेष रूप से बुलाया गया, जिसमें यह तय हुआ कि लालू प्रसाद जिन गंभीर बीमारियों से जूझ रहे है,ऐसे में उनका इलाज जेल अस्पताल में संभव नहीं है और रिम्स भेजने की सिफारिश की गई।
तत्काल ही जेल प्रशासन की ओर से सारी आवश्यक कागजी प्रक्रिया पूरी करते हुए एंबुलेंस की व्यवस्था की गई और लालू प्रसाद को रिम्स लाकर पेइंग वार्ड में भर्ती कराया गया।
इधर, लालू प्रसाद के रिम्स आने की सूचना मिलते ही रिम्स प्रबंधन ने भी अपनी तैयारियां पूरी कर दी। इससे पहले भी रांची जेल में रहने के दौरान लालू प्रसाद महीनों रिम्स में इलाजरत थे। उस वक्त उनका इलाज रिम्स के सीनियर चिकित्सक डॉ उमेश प्रसाद के नेतृत्व में इलाज होता था, लेकिन अब उनका निधन हो गया है, इसलिए अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने रिम्स पहुंचते ही लालू प्रसाद का इलाज शुरू किया।
इधर, लालू प्रसाद को रिम्स लाए जाने की सूचना मिलते ही आरजेडी के वरिष्ठ नेता श्याम रज्जक, जयप्रकाश यादव, अब्दुल बारी सिद्दीकी, भोला यादव समेत अन्य वरिष्ठ नेता रिम्स परिसर पहुंच गये। वहीं बड़ी संख्या में आरजेडी कार्यकर्त्ता भी रिम्स पहुंचे। इस तरह से करीब दो घंटे में के अंदर ही लालू प्रसाद एक बार फिर से जेल से रिम्स पहुंच गए और रिम्स पहुंचते ही लालू प्रसाद के परिजनों, समर्थकों और पार्टी नेताओं-कार्यकर्ताओं ने राहत की सांस ली।
प्रसाद ए श्रेणी के कैदी है और जेल मैनुअल के मुताबिक उन्हें आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराई गई है। पिछली बार भी प्रसाद के रिम्स में रहने के दौरान सप्ताह में एक तीन दिन तीन लोगों से मिलने की छूट दी जाती थी।