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भारतीय सिनेमा ने देश की संस्कृति को दुनिया भर में फैलाया : कोविंद
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भारतीय सिनेमा ने देश की संस्कृति को दुनिया भर में फैलाया : कोविंद

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भारतीय सिनेमा ने देश की संस्कृति को दुनिया भर में फैलाया : कोविंद

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने फिल्मों को शिक्षा एवं मनोरंजन का महत्वपूर्ण माध्यम बताते हुए कहा कि भारतीय फिल्मों ने राष्ट्र की एकता, अनेकता और विविधता को चित्रित करने के साथ-साथ देश की संस्कृति को पूरे विश्व में फैलाया है तथा हिंदी को लोकप्रिय बनाने का उल्लेखनीय काम किया है।

कोविंद ने आज यहां विज्ञान भवन में आयोजित एक गरिमापूर्ण समारोह मे 65वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान करने के बाद अपने संबोधन में ये विचार व्यक्त किए। इस मौके पर सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी, राज्य मंत्री राजवर्धन राठौड़, मंत्रालय के सचिव एनके सिन्हा, फिल्म जगत की कई हस्तियां एवं कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

समारोह में दादा साहब फाल्के पुरस्कार सुप्रसिद्ध अभिनेता विनोद खन्ना को मरणोपरांत प्रदान किया गया। राष्ट्रपति से उनके अभिनेता पुत्र अक्षय खन्ना एवं पत्नी कविता खन्ना ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। मशहूर फिल्म अभिनेत्री श्रीदेवी को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मरणोपरांत प्रदान किया गया जिसे उनके पति बोनी कपूर और उनकी बेटियों जान्ह्वी तथा खुशबू ने ग्रहण किया।

कोविंद ने इन दोनों दिवंगत कलाकारों को याद करते हुए कहा कि इनका निधन देश के सिनेमाप्रेमियों के लिए व्यक्तिगत क्षति थी क्योंकि उन्होंने लाखों प्रशंसकों का दिल जीता है। इनकी फिल्में बॉक्स अॉफिस पर हिट रही और हमेशा याद की जाती रहेंगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय सिनेमा भोजपुरी से लेकर तमिल तक और मराठी से लेकर कई अन्य भारतीय भाषाओं में फैला है और उसने देश की एकता तथा विविधता को चित्रित करने के साथ ही उसे एक सूत्र में बांध रखा है।

उन्होंने प्रख्यात फिल्मकार सत्यजीत रे और रित्विक घटक का जिक्र करते हुए कहा कि इनकी फिल्मों को जानने के लिए बांग्ला भाषा जानने की उसी तरह जरुरत नहीं है जिस तरह बाहुबलि फिल्म देखने के लिए तेलुगू जानने की जरुरत नहीं है, और एअार रहमान के संगीत को सुनने के लिए तमिल भाषा जानने की जरुरत नहीं है।

कोविंद ने कहा कि अब तो लद्दाखी भाषा और लक्षद्वीप की स्थानीय भाषा में भी फिल्में बन रही हैं। उन्होंने कहा कि भारत विश्व में सबसे बड़ा फिल्म निर्माता देश बन गया है और हर साल 5500 फिल्में बनने लगीं हैं।

जापान, चीन, अमरीका, मिस्त्र, रुस, आस्ट्रेलिया तथा कई अन्य देशों में भी भारतीय फिल्में देखी जा रहीं हैं। इससे पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति फैली है तथा प्रवासी भारतीयों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपस में जोड़ने का काम हुआ है।

राष्ट्रपति ने कहा कि सिनेमा केवल सांस्कृतिक कार्य ही नहीं कर रहा है बल्कि उद्योग की तरह भी काम कर रहा है और इससे देश भर में दो लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। वर्ष 2017 में 17 प्रतिशत तथा 2018 में 18 प्रतिशत की दर से इसका विकास हुआ है। भारतीय सिनेमा ने तकनीकी रुप से भी काफी विकास किया है तथा सिनेमाटोग्राफी से लेकर साउंड रिकॉर्डिेंग तक उसका स्तर बेहतर हुआ है।

कोविंद ने कहा कि भारत विदेशी फिल्म निर्माताओं के लिए भी फिल्म निर्माण का आकर्षक केंद्र बनता जा रहा है और सरकार से उन्हें हरसंभव मदद एवं सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है तथा ऑन लाइन फिल्म सर्टिफिकेशन भी शुरु किया जा रहा है।

स्मृति ईरानी ने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय सिनेमा देश की विविधता को उजागर करने का उल्लेखनीय काम कर रहा है और उम्मीद जताई कि भविष्य में भी फिल्में ये काम करती रहेंगी। दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता विनोद खन्ना का स्मरण करते हुए ईरानी ने कहा कि उन्होंने राजनीति तथा फिल्माें में योग्यता के बल पर अनोखा इतिहास रचा।

मरणोपरांत सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित श्रीदेवी को नमन करते हुए उन्होंने कहा कि इस अभिनेत्री ने अपनी फिल्मों के माध्यम से लाेगों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी है। समारोह में कुछ पुरस्कार कोविंद ने और कई अन्य पुरस्कार ईरानी ने प्रदान किए।