नई दिल्ली। वर्ष 2024 तक देश में हर घर नल से जल के संकल्प के साथ शुरू हुए जल जीवन मिशन की गणतंत्र दिवस परेड में शामिल झांकी को मंत्रालयों में सर्वश्रेष्ठ झांकी चुना गया है। इस झांकी ने केंद्र सरकार के जल संचय और जल संरक्षण के उद्देश्य को बखूबी प्रस्तुत किया।
राजपथ पर निकली केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की झांकी में नल से ढेरों मटकों को पानी से भरते दर्शाया गया था। बड़ी टंकी से जुड़ा नल साफ और स्वच्छ पानी दे रहा था। झांकी में एक परिवार को दर्शाया गया, कैसे पानी आने से परिवार की महिलाएं प्रसन्न हैं। झांकी के आसपास पानी की बूंदें उछलती-कूदती चल रही थीं। झांकी ने सभी का मन मोह लिया।
जब झांकी राजपथ से गुजरी तो स्वयं केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने खड़े होकर इसका स्वागत किया। उन्होंने मंत्रालय के इस प्रयास की सराहना की। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि हमारी सरकार 2024 तक हर घर नल से जल परियोजना द्वारा जल सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। वहीं, जल जीवन मिशन के साथ एनडीआरएफ की झांकी को संयुक्त रूप से प्रथम चुना गया है।
पीएम ने मंत्रालय के प्रयास को सराहा
अपने मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि स्वच्छता के बाद जन-भागीदारी की भावना, आज एक और क्षेत्र में तेजी से बढ़ रही है और वह है जल संरक्षण। जल संरक्षण के लिए कई व्यापक और अभिनव प्रयास देश के हर कोने में चल रहे हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि इस अभियान में, समाज के हर तबके के लोगों ने, अपना योगदान दिया।
जालोर के ग्रामीणों का दिया उदाहरण
राजस्थान के जालोर जिले को उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां की दो ऐतिहासिक बावड़ियां कूड़े और गंदे पानी का भंडार बन गई थी। फिर क्या था, भद्रायुं और थानवाला पंचायत के सैकड़ों लोगों ने जलशक्ति अभियान के तहत इन्हें पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया। इसी का परिणाम है कि ये बावड़ियां आज वहां की जीवन रेखा बन गई हैं।
क्या है हर घर नल से जल परियोजना
हर घर नल से जल परियोजना के तहत प्रत्येक घर को प्रतिदिन 55 लीटर पीने के पानी की सप्लाई की जाएगी। वर्तमान में 17.87 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.28 करोड़ यानी 18.33 प्रतिशत को नल से जल मिल रहा है। सरकार राज्यों के साथ मिलकर इस परियोजना को पूरा करेगी। पांच साल में परियोजना पर 3.6 लाख करोड़ रुपए खर्च होंगे, जिसमें 1.52 लाख करोड़ रुपए राज्यों को देने होंगे।