रामनाथी (गोवा)। साल 1947 में विभाजन के उपरांत देश स्वतंत्र हुआ, इसके बाद 1950 में संविधान लागू हुआ। उस समय कहा गया कि सभी को समान न्याय मिलेगा। इस आशा के साथ सब तरह के अत्याचार भूलकर हिन्दू उसे स्वीकारने के लिए तैयार हो गए, परंतु प्रत्यक्ष में धर्मनिरपेक्षता के नाम पर अल्पसंख्यकों को सुविधा देकर हिन्दुआें का दमन किया जा रहा है।
आज मुसलमान अपने धर्मके लिए ‘फिदायीन’ बनकर समय पडने पर अपने प्राण देने को तैयार हो जाते हैं। ऐसे समय हम हिन्दू अधिवक्ताआें को भी कानून का अध्ययन कर, न्यायालय में ‘फिदायीन’ बनकर हिन्दुआें को न्याय दिलाने के लिए निःस्वार्थ वृत्ति से प्राणपण से प्रयास करने चाहिए। देश में बडी संख्या में हिन्दुआें का धर्मांतरण हो रहा है, इसे रोकना आवश्यक है।
इस पृष्ठभूमि पर धर्मांतरण-विरोधी कानून बनाने के लिए अधिवक्ता प्रयास करें। हमें अपना भविष्य सुरक्षित करना है, तो हिन्दू राष्ट्र स्थापना के प्रयास करने चाहिए, ऐसा प्रतिपादन लक्ष्मणपुरी (लखनऊ) के ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के अध्यक्ष अधिवक्ता हरि शंकर जैन ने किए।
वे यहां श्रीरामनाथ देवस्थान के श्रीविद्याधिराज सभागृह में आयोजित दो दिवसीय ‘राष्ट्रीय अधिवक्ता अधिवेशन’ के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। ‘सप्तम अखिल भारतीय हिन्दू अधिवेशन’ के अंतर्गत चल रहे अधिवक्ताआें के इस अधिवेशन में केरल के अधिवक्ता गोविंद के. भरतन्, ‘इंडिया विथ विज्डम ग्रुप’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता कमलेशचंद्र त्रिपाठी, हिन्दू विधिज्ञ परिषद के संस्थापक सदस्य अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी एवं अन्य मान्यवरों के करकमलों से दीपप्रज्वलन किया गया।
कार्यक्रम में 80 से अधिक धर्मप्रेमी अधिवक्ता उपस्थित थे। इस अधिवेशन में राष्ट्र एवं धर्म पर होने वाले आघात रोकने के उपाय, हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य की आगामी दिशा जैसे विविध विषयों पर चर्चा की जाएगी।
धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र की व्यवस्था निर्माण करें : पिंगळे
अधिवक्ताआें का इतिहास, प्राचीन और आध्यात्मिक है। लोकमान्य तिलक, पंडित मदनमोहन मालवीय, वीर सावरकर जैसे अनेक अधिवक्ताआें ने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लेकर, एक आदर्श निर्माण किया। वही आदर्श लेकर, धर्मप्रेमी अधिवक्ता हिन्दू राष्ट्र स्थापना के कार्य में सक्रीय सहभाग लेंगे तो इतिहास में उनका नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।
यहां एकत्रित अधिवक्ताआें से केवल प्रवाह के विरुद्ध तैरना अपेक्षित नहीं है, अपितु प्रवाह की दिशा परिवर्तित कर, धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र की व्यवस्था निर्माण करना अपेक्षित है, ऐसा मार्गदर्शन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे ने किया।
हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक सुनील घनवट ने कहा कि, हिन्दुत्वनिष्ठों को कानून की पूरी जानकारी नहीं रहती। उन्हें हिन्दुत्व का कार्य करते समय अनेक समस्याआें का सामना करना पडता है। ऐसे समय धर्मप्रेमी अधिवक्ता हिन्दुत्वनिष्ठों का कानून संबंधी मार्गदर्शन कर, उनकी सहायता करें।
अधिवेशन के प्रारंभ में शंखनाद किया गया। दीपप्रज्वलन के उपरांत सनातन पुरोहित पाठशाला के पुरोहितों ने वेदमंत्र का पठन किया। हिन्दू जनजागृति समिति के प्रेरणास्रोत परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवले ने अधिवेशन के निमित्त दिए संदेश का वाचन समिति के पूर्वी भारत मार्गदर्शक पू. नीलेश सिंगबाळ ने किया। कार्यक्रम का सूत्रसंचालन समिति के सुमित सागवेकर ने किया।