नई दिल्ली। पौष्टिक आहार के अभाव और जंक फूड के कारण भारत मे दस साल से 19 साल के आयु वर्ग के आधे से अधिक किशोर या तो ठिगने हो रहे है या पतले या फिर मोटापे के शिकार हो रहे है। इनमें छह करोड़ 30 लाख लड़कियां है तो आठ करोड़ दस लाख लड़के हैं जो पौष्टिक आहार से वंचित है।
यह निष्कर्ष संयुक्त राष्ट्र बाल आपात कोष (यूनीसेफ) की ताजा रिपोर्ट में सामने आया है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत एवं यूनीसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरी टा फोर ने गुरुवार की शाम यह रिपोर्ट जारी की है। यह पहला मौका है जब देश मे राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण किया गया है जिसके आधार पर यह रिपोर्ट जारी की गई है। रिपोर्ट के अनुसार देश के 80 प्रतिशत किशोरों में पोषक तत्वों की कमी है।
उनके खान पान में आयरन विटामिन और जिंक की बेहद कमी है। दस प्रतिशत से कम किशोर ही दैनिक आहार में फल और अंडे ले पाते है। केवल 50 प्रतिशत किशोर हर रोज दूध का कोई उत्पाद ले पाते हैं और 25 प्रतिशत किशोर सप्ताह में एक दिन हरी पत्तियों वाली सब्जियाँ ले पाते है। रिपोर्ट के अनुसार दस से 19 वर्ष के किशोरों में जंक फूड और तली चीजों के खाने से दिल की बीमारियों और मधुमेह का खतरा बढ़ गया है।
नीति आयोग का कहना है कि जब देश का किशोर वर्ग इतनी बड़ी संख्या में कुपोषित हैं तो इससे देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने इस रिपोर्ट के निष्कर्षों पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि कुपोषण को दूर करने के लिए मिड डे मिल और आंगनबाड़ी जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए लेकिन उसके अभी तक अपेक्षित परिमाण नही आये है ।कुपोषण अभी भी हमारे लिए चुनौती बनी हुई है।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस समस्या को हम सुलझा नही पाए तो 50 खरब की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हम कैसे प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्रालयों की योजनाओं के बीच समन्वय एवम एकीकरण की जरूरत पर बल दिया। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि पौष्टिक आहार के बारे में जन जागरण शुरू करने की जरूरत है क्योंकि आज का किशोर वर्ग ही कल के भारत का भविष्य है। इसे केवल सरकारी और सामुदायिक कार्यक्रम न समझा जाये बल्कि स्कूलों और कालेजों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए।
यूनीसेफ की कार्यकारी निदेशक हेंन रीटा होर ने कहा कि कुपोषण को दूर करने के लिए कानून बनाने की भी जरूरत है और मीडिया को भी प्रचार प्रसार पर ध्यान देना चाहिए। नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल ने कहा कि स्वच्छता अभियान की तरह पोषण अभियान को चलाने की जरूरत है और लोगों के खान पान के व्यवहार में परिवर्तन लाने के अलावा खाद्य पदार्थों को नियंत्रित करने की जरूरत है। स्कूलों कालेजों में हीमोगलिबिन हेल्थ चेकअप को अनिवार्य किया जाना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार अभी भी 40 प्रतिशत लड़कियों में एनीमिया का प्रकोप है और लड़कों की तुलना में लड़कियों में सांस फूलने की समस्या है।