नई दिल्ली। अभूतपूर्व घटनाक्रम में बुधवार को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने तीन तलाक विधेयक पर राज्यसभा की कार्यवाही को स्थगित करने पर बाध्य कर दिया। विधेयक को सदन की प्रवर समिति के पास भेजने की विपक्षी दलों की जोरदार मांग के कारण सत्तारूढ़ दल को ऐसा करना पड़ा।
विपक्ष द्वारा महाराष्ट्र के कोरेगांव-भीमा में दलित विरोधी हिंसा पर चर्चा की मांग के हंगामे के बाच कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2017 पेश किया, जिसे तीन तलाक विधेयक नाम से जाना जाता है।
प्रसाद और वित्त मंत्री अरुण जेटली दोनों ने विपक्ष पर तीन तलाक विधेयक को सदन के पटल पर रखने से बचने के लिए हंगामा करने का आरोप लगाया, जिसे विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने खारिज कर दिया।
जैसे ही विधेयक को पेश किया गया, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदू शेखर रॉय ने आसन का ध्यान नियम 125 पर केंद्रित किया, जिसके तहत सांसद विधेयक को प्रवर समिति को संदर्भित करने की सिफारिश कर सकते हैं।
विपक्ष ने प्रसाद को प्रस्तावित कानून पर बयान देने से रोकने की कोशिश की, जिसमें तीन बार तलाक कहकर तत्काल तलाक देने वाले मुसलमान पुरुषों को जेल में डालने का प्रावधान है।
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने विधेयक में संशोधन पेश किया जिसमें कहा गया है कि यह सदन महिलाओं के सशक्तिकरण और महिलाओं के अधिकारों के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है, मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017, जिसे लोकसभा में पारित किया गया है, को राज्यसभा की प्रवर समिति के पास संसदीय जांच के लिए संदर्भित करता है, ताकि महिलाओं को पूर्ण न्याय और उनके हितों व कल्याण की रक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि समिति बजट सत्र के पहले सप्ताह में अपनी रिपोर्ट पेश कर सकती है। शर्मा ने नामांकित सदस्य केटीएस तुलसी के अलावा कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, टीएमसी, सपा, द्रमुक, बसपा, एनसीपी, सीपीआई-एम, टीडीपी, बीजद, सीपीआई, आरजेडी, आईयूएमएल और जेएमएम सहित विभिन्न विपक्षी दलों के 17 सदस्यों के नामों को प्रस्तावित किया और कहा कि सरकार चाहे तो अपना नाम दे सकती है।
जेटली ने प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए कहा कि नियमों के अनुसार आवश्यक रूप से कम से कम 24 घंटे पहले उचित नोटिस दिए बिना विपक्ष द्वारा अचानक इस संशोधन को आगे बढ़ाना आश्चर्यचकित करने वाला है।
विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजे जाने के खिलाफ तर्क देते हुए जेटली ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया है। पांच में से दो न्यायाधीशों ने छह महीने के लिए तीन तलाक की प्रथा को निलंबित कर दिया और राजनीतिक दलों से तीन तलाक को प्रतिबंधित करने के लिए कानून बनाने को कहा।
जेटली ने कहा कि अब, निलंबन की छह महीने की अवधि 22 फरवरी को खत्म हो जाएगी और ऐसे में इस विधेयक को तुरंत पारित करने की आवश्यकता है।
कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने स्पष्ट किया कि निलंबन का फैसला सर्वोच्च अदालत की पीठ का बहुमत का फैसला नहीं था, इसलिए यह बाध्यकारी नहीं है और इस कानून में तब्दील करने के लिए जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए। सिब्बल मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से मामले में अदालत में उपस्थित हुए थे।
सतारूढ़ दल ने कांग्रेस पर अल्पसंख्यकों के वोटों के लिए विधेयक का विरोध करने का आरोप लगाया, जिसपर शर्मा ने कहा कि यदि सरकार महिलाओं के अधिकारों के प्रति ईमानदार है, तो उसे जल्द से जल्द महिला आरक्षण विधेयक लेना चाहिए।
शर्मा ने कहा कि सदन सरकार का रबर स्टांप नहीं हो सकता। भाजपा सदस्यों के हंगामे के बीच, गुलाम नबी आजाद ने आसन से कहा कि सर, लोकतंत्र में बहुमत का विचार मान्य होता है। इस मुद्दे पर सदन में मत विभाजन करा लें। इसके बाद भाजपा के सांसद आसन के समक्ष आ गए और हंगामा करने लगे।
उप सभापति पीजे कुरियन ने हंगामे के बीच मत विभाजन कराने में असमर्थता जताई और सदन को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया। भाजपा और उसके सहयोगी राज्यसभा में अल्पमत में हैं, ऐसे में मत विभाजन का फैसला क्या होता, इसे आसानी से समझा जा सकता है।