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बर्थडे स्पेशल : इस चमत्कार को देखकर बने दिलीप कुमार से AR रहमान - Sabguru News
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बर्थडे स्पेशल : इस चमत्कार को देखकर बने दिलीप कुमार से AR रहमान

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बर्थडे स्पेशल : इस चमत्कार को देखकर बने दिलीप कुमार से AR रहमान
Birthday Special: AR Rahman by Dilip Kumar, seeing this miracle
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बॉलीवुड के मशहूर संगीतकार एआर रहमान आज अपना 52 साल के हो गए हैं। उनका जन्म 6 जनवरी 1966 में चेन्नई में हुआ था। रहमान को संगीत अपने पिता से विरासत में मिली है। रहमान जब 9 साल के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। पिता की मृत्यु के बाद उनके घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई थी। पैसों के लिए घरवालों को म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट तक बेचने पड़े थे।

मात्र 11 साल की उम्र में अपने बचपन के मित्र शिवमणि के साथ रहमान बैंड रुट्स के लिए की-बोर्ड (सिंथेसाइजर) बजाने का काम शुरू किया। बैंड ग्रुप में काम करते हुए ही उन्हें लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ म्यूजिक से स्कॉलरशिप भी मिली, जहां से उन्होंने पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में डिग्री हासिल की।

रहमान सिंथेसाइजर के अलावा की-बोर्ड, पियानो, हारमोनियम और गिटार भी बजाते हैं। रहमान का असली नाम दिलीप कुमार था। रहमान की मम्मी को सूफी संत पीर करीमुल्लाह शाह कादरी पर बहुत भरोसा था, हालांकि उनकी मां हिंदू धर्म को मानती थीं। रहमान ने एक इंटरव्यू में बताया था, मेरे पिता के निधन के 10 साल बाद हम कादरी साहब से फिर मिलने गए थे। वह अस्वस्थ थे और मेरी मम्मी ने उनकी देखभाल की थी।

वे उन्हें अपनी बेटी मानते थे। हमारे बीच मजबूत कनेक्शन था। मैं उस समय 19 साल का था। कादरी साहब से मिलने के 1 साल बाद रहमान अपने परिवार के साथ कोदाम्बक्कम शिफ्ट हो गए थे। सूफिज्म का रास्ता उन्हें और उनकी मम्मी दोनों को बहुत पसंद था। इसलिए उन्होंने सूफी इस्लाम को अपना लिया था।

एआर रहमान की पत्नी का नाम सायरा बानो है। उनके तीन बच्चे हैं- खदीजा, रहीम और अमन। 1992 में ‘रोजा’ के साथ फिल्म जगत में अपना सफर शुरू करने के बाद उन्होंने अपनी रचनाओं में विभिन्न संगीत तत्वों को जोड़ कर अपनी शैली विकसित की, रहमान की संगीत ने बॉलीवुड संगीत की आवाज को बदल कर रख दिया।

रहमान को स्लमडॉग मिलियनेयर के लिए और दिग्गज सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान को सर्वश्रेष्ठ पारंपरिक विश्व संगीत अलबम श्रेणी में ‘एनसिएंट साउंड’ के लिए। रहमान की मानें तो उन्होंने अपनी जिंदगी में हमेशा आलोचना का स्वागत किया है, वैसी आलोचना जो बगैर किसी द्वेष के हैं, और उचित रही है। उन्होंने हमेशा इसे सकारात्मक रूप से लिया और इसलिए, वह विकसित हुए हैं।

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