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राम नाम परिक्रमा महोत्सव : प्रभु का कोई नाम जप लो मिल जाएगी मुक्ति - Sabguru News
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राम नाम परिक्रमा महोत्सव : प्रभु का कोई नाम जप लो मिल जाएगी मुक्ति

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राम नाम परिक्रमा महोत्सव : प्रभु का कोई नाम जप लो मिल जाएगी मुक्ति
Ram naam parikrama mahotsav 2017-18 at azad park ajmer
Ram naam parikrama mahotsav 2017-18 at azad park ajmer

अजमेर। सुख का सागर राम है दुख का भंजन हार, रामचरण तजिए नहीं भजिए बारम्बार, राम आतंवाद का भस्मकारी है, सत्य प्रकाशक है, इसे जपने से बढकर कोई ओर सौभाग्य नहीं हो सकता। यह बात अन्तरराष्ट्रीय श्रीरामस्नेही सम्प्रदाय शाहपुरा पीठाधीश्वर के जगदगुरू श्रीरामदयाल महाराज ने 54 अरब हस्तलिखित राम नाम महामंत्र परिक्रमा महोत्सव में मंगलवार को प्रवचन करते हुए कही।

उन्होंने एक कथा का उदाहरण देते हुए कहा कि एक राजा ने महात्मा से पूछा हमारा उद्धार कैसे होगा। प्रभु के तो कई नाम है, आखिर भगवान के किस नाम को जपने से मुक्ति मिलेगी। तब महात्मा ने कहा कि राजन प्रभु के हर नाम में बडी ताकत है। परमात्मा के अननंत रूप और नाम हैं। किसी नाम को जप लो, भवसागर पार हो जाओंगे।

उन्होंने कहा कि योग अर्थ जोडना होता है, हमारी संस्कृति में योग सिखाया है। राम नाम जोडने की संस्कृति है, दो लोग परस्पर मिलते हैं तो राम राम करते हैं। लेकिन न जाने इस राष्ट्र को किसकी नजर लग गई। राम राम की संस्कृति हाय बाय बाय में बदल गई है। कथित लोग इस संस्कृति में नकारात्मक को घोलने में लगे हैं। ये राम का राष्ट्र है, राम दो शब्द से मिलकर बना है रा और म, रा का अर्थ राष्ट्र और म का अर्थ मंगल है।

राम नाम जाग्रत करता है। नाम के मर्म को जिसने जाना वह भवसागर पार हो गया। सनातन धर्म में शवयात्रा के दौरान श्मशान स्थल तक राम नाम भजा जाता है। शव यात्रा के दौरान सिर्फ मुर्दा राम नाम जपता। जो राम को सत्य नहीं मानता वह जीते जी मुर्दे के समान है। साधुओं, सतियों, जर्रे जर्रे में परमात्मा है। धर्म का काम करे वह पुण्यात्मा है।

उन्होंने कहा आज समूचा विश्व आतंकवाद से थर्रा रहा है, हमारा देश भी खून से लथपथ हो रहा है। यह बहुत गंभीर विषय है। कलयुग में प्रभु नाम की शरणागत ही सर्वोत्तम है। कलयुग के चलते इंसान स्वार्थ प्रधान और अर्थप्रधान हो गया है। सनातन धर्म के पूर्व के समय को देखेें तो एक दिन ऐसा था, घर का परिवार का एक सदस्य शाम तक समय पर घर नहीं लौटे तो बाकी लोग साथ भोजन के लिए उसका इंतजार करते थे।

आज लोग हर बात में कहते हैं समय कम है, जबकि मेरा मानना है कि समय नहीं लोगों के पास समझ कम हो गई है। समय के अभाव में परिवार और समाज को कभी नहीं तोडा, टूटन तो समझ के अभाव में होती है। जिस दिन समय के साथ समझ का संगम हो जाएगा उस दिनसे सब कुछ उत्तम होगा।

उन्होंने उपस्थित रामभक्तों को संकल्प कराया कि इस देश से भ्रुण हत्या हत्या जैसा कलंक मिटाना है। सनातन धर्मप्रेमियों को भ्रुण हत्या जैसे पाप से बचना है। धर्म, संस्कृति और चरित्र ही भारत देश की पहचान है। यह संतों का राष्ट्र है, प्रभु का राष्ट्र है। सनातन धर्मप्रेमियों का राष्ट्र है। हम परिवार और राष्ट्र को जोडेंगे यह प्रण लें। धर्म, संविधान और नियमों का पालन करें।

उन्होंने पडोसी देश पाकिस्तान को आडे हाथों लेते हुए कहा कि जिस तरह वहां भारत मां के सपूत कुलभूषण यादव की मां और पत्नी को अपमानित किया गया वह अक्ष्म्य है। बेटे और मां तथा पत्नी के मिलन के बीच कांच की दीवार खडी की गई। यह कृत्य कभी धर्म नहीं है।

प्रवचन और मार्गदर्शन सत्र में रामस्नेही सम्प्रदाय की संध्या आरती के बाद श्वेता गर्ग ने गुरुवर को समर्पित भजन राम तुम बडे दयालू हो, नाथ तुम बडे दयालू हो, तेरा यश गाया वेदों ने पार नहीं पाया वेदों ने …की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर जगतगुरु के साथ आए संत जगवल्लभराम, संत बोलताराम, संत सेवाराम और संत पप्पूरामजी का भक्त्जनों की ओर से नीतेश गर्ग और उमेश गर्ग ने स्वागत किया।

प्रभु का हर नाम भवसागर से पार लगाने वाला : श्रीरामदयाल महाराज