भाईसाहब! क्रेडिट तो हम ही लेंगे।
आज देश बहुत तेज़ी से विकास कर रहा है और दुनिया की नज़र भी हम पर बनी है कि वो भी हम से कुछ सीख सके और खुद का विकास कर सके। हम बात कर रहे हैं सुपर 30 संस्थान की जो मौजूदा वक़्त में पटना बिहार में आनंद कुमार द्वारा चलाई जाती है और जिसका नाम लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स 2009 में भी है। यह वही सुपर 30 है जिसकी बड़ाई उस समय के राष्ट्रपति बराक ओबामा जी ने भी की थी। लेकिन इतना जान लेना काफ़ी नहीं। आइये ज़रा आपको सुपर 30 की ऐतिहासिक सैर पर ले चलते हैं।
इसकी शुरुवात अभयानंदजी और आनंद कुमार जी द्वारा की गयी थी जिसके तहत वो गरीब और प्रतिभाशाली छात्रों को आई.आई.टी. के दाखिले परीक्षा की तैयारी करवाते थे। उनके रहने और खाने का बन्दोबश्त भी संस्था द्वारा ही किया जाता था । वक़्त बीता और 2003 से 2008 आया जब संस्थान के सह संस्थापक अभयानंद जी ने सुपर 30 छोड़ रहमानी 30 में सेवा देना शुरू कर दिया । शायद इसलिए क्योंकि वो सुपर 30 छोड़ने के बावजूद इस नेक काम से दूर नहीं रह पा रहे थे।
2008 वही वर्ष था जब दोनों महानुभावों को शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान के लिए रिलायंस द्वारा आयोजित समारोह में दोनों को सम्मानित किया गया था और तब अभयानंद जी ने बहुत अहम बात कही थी – ” यह जो कार्य हम कर रहे हैं यह कोई दान पुण्य का काम नहीं है बल्कि यह तो मौजूदा वक़्त की ज़रूरत है । अगर हम एक प्रतिभाशाली छात्र को एक बेहतर शिक्षा नहीं दे सकते तो एक बेहतर समाज की कल्पना करना व्यर्थ है।”
ख़ैर प्रश्न यह है कि इन सभी बातों का ज़िक्र अभी क्यों ? दरअसल बात ऐसी है कि सुपर 30 की शुरुवात दोनों महानुभावों ने की , फर्क इतना सा रह गया की एक प्रसिद्धि पाने की दौड़ में बहुत आगे निकलते हुए पुराने दिनों को भूल गया और खुद को ही सर्वे सर्वा समझने लगा । साथ ही अन्य राजनैतिक दालों की नक़ल करते हुए परिवारवाद की परम्परा को जिंदा रखा और श्रेय खुद के और भाई प्रणव कुमार के नाम कर दिया । ये वही प्रणव कुमार जी हैं जो देश विदेश हमेशा घूमते रहते हैं और नेता अभिनेता के साथ तस्वीरें खींच कर साझा करते रहते हैं।
23 नवम्बर 2018 को आने वाली सुपर 30 पर आधारित फिल्म में भी अभयानंद जी के योगदान को नगण्य मानते हुए आनंदजी को ही बड़े नायक के रूप में दिखाया गया है ।
जिसकी नाराज़गी अभयानंद जी ने फेसबुक द्वारा ज़ाहिर की है।
गौर करने वाली बात यह भी है की संस्था की ओफ़िसिअल साईट www.super30.org पर भी सह संस्थापक के योगदान के बारे में कोई जानकारी साझा नहीं की गई है ।
यह काफ़ी चौकाने वाली बात है की आनंद कुमार जी जिनको अनेक सम्मानों से नवाज़ा गया है वो इतनी घटिया राजनीती भी कर लेते हैं।
SOURCE : FACEBOOKE