पटना | बिहार में दहेज प्रथा और बाल विवाह के विरुद्घ जागरूकता अभियान के लिए 21 जनवरी को मानव श्रृंखला बनाने के मामले में पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार को झटका देते हुए मंगलवार को स्पष्ट कहा कि इस श्रृंखला में बगैर अभिभावकों की सहमति के बिना बच्चे भाग नहीं लेंगे। पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायाधीश अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने मंगलवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए बिहार सरकार को स्पष्ट निर्देश दिया है कि बनने वाली मानव श्रृंखला में बगैर अभिभावकों की अनुमति के बच्चे भाग नहीं लेंगे।
न्यायालय ने यह भी आदेश दिया है कि अगर बच्चे या शिक्षक इस मानव श्रृंखला में भाग नहीं लेते हैं, तब भी सरकार उनके विरूद्घ कोई कार्रवाई नहीं करेगी।
उल्लेखनीय है कि शिव प्रकाश राय द्वारा पटना उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि इस ठंड के मौसम में जहां ठंड के मद्देनजर स्कूलों में छुट्टी कर दी गई है, वहीं 21 जनवरी को रविवार को स्कूल खुला रखा गया है तथा मानव श्रृंखला में बच्चों और शिक्षकों को भग लेने के लिए निर्देश दिए गए हैं।
राय के अधिवक्ता दिनू कुमार ने बताया कि राज्य सरकार ने सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि स्वेच्छा से ही बच्चे मानव श्रृंखला में भाग लेंगे। साथ ही इस कार्यक्रम में भाग नहीं लेने वालों के विरुद्घ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।
अधिवक्ता ने बताया कि पटना उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में इस मामले में पूरा ब्यौरा देने का निर्देश दिया है तथा कहा है कि अगर किसी को कोई शिकायत होगी, तो वह अदालत के समक्ष पेश कर सकता है।
उल्लेखनीय है कि दहेज प्रथा और बालविवाह के विरुद्घ जागरुकता अभियान के तहत 21 जनवरी को राज्य सरकार का मानव श्रृंखला बनाने का कार्यक्रम है। इस मानव श्रृंखला में स्कूली बच्चों को भी शामिल किए जाने की योजना है।
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