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एक अनोखा गाँव जहां लगता है 'भूतों का मेला' - Sabguru News
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एक अनोखा गाँव जहां लगता है ‘भूतों का मेला’

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एक अनोखा गाँव जहां लगता है ‘भूतों का मेला’
Where is a unique village that looks like 'ghost fair'
Where is a unique village that looks like 'ghost fair'
Where is a unique village that looks like ‘ghost fair’

भारत को त्योंहारो और मेलों का देश कहा जाता हैं। भारत में कई तरह के मेलों का आयोजन होता रहता हैं। आपने कई मेलों के बारे में सुना होगा लेकिन शायद ही ‘भूतों के मेले’ के बारे में सुना होगा। बैतूल जिले से करीब 42 किलोमीटर दूर चिचौली तहसील के गांव मलाजपुर में हर साल मकर मकर संक्रांति की पहली पूर्णिमा से ‘भूतों का मेला’ शुरू होता है। ऐसी मान्यता है कि 1770 में गुरु साहब बाबा नाम के एक संत ने यहां जीवित समाधि ली थी। कहा जाता है कि संत चमत्कारी थे और भूत-प्रेत को वश में कर लेते थे। बाबा की याद में हर साल यहाँ मेला लगता है। भूत-प्रेत बाधा निवारण के लिए गुरु साहब बाबा के मंदिर भारत भर में विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

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इस मेले का दृश्य ऐसा होता है जिसमें किसी के हाथ में जंजीर बंधी है, तो किसी के पैरों में बेडिय़ां बंधी है। कोई नाच रहा है, तो कोई सीटियां बजाते हुए चिढ़ा रहा है। यहां के पुजारी लालजी यादव बुरी छाया से पीड़ित लोगों के बाल पकड़कर जोर से खींचते हैं। पुजारी कई बार झाड़ा भी लगाते हैं। यहां लंबी कतार में खड़े होकर लोग सिर से भूत-प्रेत का साया हटवाने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते देखे जा सकते हैं।

जो पीड़ित ठीक हो जाते हैं, उसे यहां गुड़ से तौला जाता है। यहां हर साल टनों गुड़ इकट्ठा हो जाता है, जो यहां आने वाले लोगों को प्रसाद के तौर पा बांटा जाता है। कहा जाता है कि, यहां इतनी मात्रा में गुड़ जमा होने के बावजूद मक्खियां या चीटिंयां नहीं दिखाई देतीं। लोग इसे गुरु साहब बाबा का चमत्कार मानते हैं। यहां मान्यता है कि प्रेत बाधा का शिकार व्यक्ति जैसे-जैसे परिक्रमा करता है, वैसे-वैसे वह ठीक होता जाता है। बाबा की पूजा-अर्चना की प्रक्रिया शुरू होते ही प्रेत बाधा पीड़ित व्यक्ति के मुंह से अपने आप में परिचय देती है, पीड़ित व्यक्ति को छोड़ देने की प्रतिज्ञा करती है। इस अवस्था में पीड़ित आत्मा विभूषित हो जाती है और बाबा के श्री चरणों में दंडवत प्रणाम कर क्षमा याचना मांगता है।

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