नई दिल्ली। शीर्ष अदालत ने गुरुवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से तीन माह के भीतर दिव्यांग (पर्सन्स विद डिसैबिलिटी) अधिकार अधिनियम 2016 को लागू करने को कहा। न्यायाधीश अरुण मिश्रा और न्यायाधीश एस. अब्दुल नजीर की खंडपीठ ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिव्यांग अधिकार कानून 2016 के प्रावधानों के अनुपालन के संबंध में रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए।
दरअसल, न्यायाधीश सुनंदा भंडारी फाउंडेशन की ओर से दाखिल याचिका में केंद्र व राज्य सरकारों से अधिनियम 2016 को लागू करने की मांग की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने यह फैसला सुनाया है।
याचिका पर सुनवाई के दौरान फाउंडेशन का पक्ष रखते हुए अधिवक्ता मनाली सिंघल ने अदालत को बताया कि उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, उत्तराखंड और लक्ष्यद्वीप ने शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण व पूर्ण भागीदारी) अधिनियम 1995 के अनुपालन को लेकर हलफनामा दाखिल की है जबकि अदालत ने अधिनियम 2016 के अनुपालन के संबंध की रिपोर्ट मांगी थी।
वर्ष 2016 में शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति अधिनियम 1995 में संशोधन किया गया था और उच्चतम न्यायालय ने नए कानून के प्रावधानों को लागू करने के निर्देश दिए थे।
सिंघल ने कहा कि नए कानून में शामिल प्रावधानों के तहत दिव्यांगों के अधिकारों का दायरा बढ़ा दिया गया है। शीर्ष अदालत ने पिछले साल राज्यों को दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 को ‘ईमानदारी’ से लागू करने का आदेश दिया था।
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