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सुनंदा पुष्कर मौत मामले में स्वामी ने खटखटाया सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा - Sabguru News
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सुनंदा पुष्कर मौत मामले में स्वामी ने खटखटाया सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा

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सुनंदा पुष्कर मौत मामले में स्वामी ने खटखटाया सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा
Sunanda Pushkar death case : Subramanian Swamy moves supreme court
Sunanda Pushkar death case : Subramanian Swamy moves supreme court
Sunanda Pushkar death case : Subramanian Swamy moves supreme court

नई दिल्ली। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सोमवार को सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

स्वामी ने सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में अदालत की निगरानी में एक एसआईटी जांच की याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय में दाखिल की थी जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था।

न्यायाधीश अरुण मिश्रा और न्यायाधीश अमिताव रॉय की पीठ ने स्वामी से अदालत को इस बिंदु पर संतुष्ट करने को कहा कि उनकी याचिका क्यों मंजूर की जाए।

मामले की सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद की तारीख तय करते हुए पीठ ने स्वामी की जनहित याचिका की मंजूरी के बारे में सवाल उठाया और उनसे कहा कि वह इस बात को स्पष्ट करें कि क्या इस मामले में उनकी तरफ से याचिका दाखिल करने का कोई आधार बनता है।

पिछले साल 26 अक्टूबर को दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्वामी की याचिका को खारिज करते हुए इसे राजनीतिक हित के लिए दायर की गई याचिका (पोलिटिकल इंटरेस्ट लिटिगेश-पीआईएल) करार दिया था।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि इस तरीके से अदालत का प्रयोग करना दुर्भाग्यपूर्ण है और राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा अपने हितों के लिए न्यायिक मशीनरी का इस्तेमाल करने को लेकर अदालतों को सावधान रहना चाहिए।

उच्च न्यायालय की पीठ ने स्वामी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह जनहित याचिका (पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन-पीआईएल) की आड़ में राजनीतिक हित के लिए मुकदमेबाजी (पोलिटिकल इंटरेस्ट लिटिगेश-पीआईएल) का एक जीता जागता उदाहरण है। अदालत ने कहा कि वह इस बात से संतुष्ट नहीं है कि इस याचिका को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया जाए।

उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी याचिका में स्वामी ने कहा था कि सुनंदा पुष्कर मामले की जांच को रोकने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं और आरोप लगाया था कि एफआईआर दर्ज हुए एक साल से ज्यादा का समय हो गया है लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं हुआ।

उन्होंने याचिका में कहा था कि इस मामले में काफी प्रभावशाली लोग लिप्त हैं जिसके कारण उन्हें बचाने के प्रयास हो रहे हैं और मामले में पहले से ही अनावश्यक देरी हो चुकी है।

अदालत ने यह भी सवाल उठाया था कि स्वामी ने अपनी याचिका में कहीं भी खुद के भाजपा नेता होने का जिक्र नहीं किया है और न ही यह बताया कि जिस शख्स के खिलाफ वह आरोप लगा रहे हैं वह कांग्रेस का है।