नई दिल्ली। कांग्रेस ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी पर साजिश रचने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा अपनी नाकामियां छिपाने के लिए बोफोर्स तोप सौदे का मुद्दा उठा रही है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा 2019 के आम चुनाव में जनता के गुस्से से खुद को बचाने के लिए यह सब कर रही है।
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने यहां पत्रकारों से कहा कि बोफोर्स मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले से तय हो गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी समेत कांग्रेस नेतृत्व को किस तरह भाजपा की ओर से दशकों पहले शुरू किए गए बदनाम करने के अभियान का शिकार होना पड़ा।
भाजपा पर हमला करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस को बदनाम करने को लेकर भाजपा ने जो अभियान शुरू किया था, उसकी असलियत 1991 में लोगों के जनादेश उजागर हो गई। यही नहीं, राजीव गांधी के निधन के बाद शीर्ष अदालतों ने उन साजिशों की पोल खोल दी।
कांग्रेस नेता दिल्ली उच्च न्यायालय के चार फरवरी 2004 के आदेश का जिक्र कर रहे थे, जिसमें 64 करोड़ रुपए रिश्वत वाले बोफोर्स मामले में राजीव गांधी को क्लीन चिट दे दी गई थी।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया, जिससे यह साबित होता हो कि स्वीडन की एबी बोफोर्स कंपनी से 155 एमएम हॉवित्जर तोप खरीदने के 1,437 करोड़ रुपये के सौदे में राजीव गांधी को कोई रिश्वत दी गई थी।
सुरजेवाला का यह बयान मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो की ओर से दिल्ली उच्च न्यायालय के 2005 के आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायाल में अपील करने के एक दिन बाद आया है। उच्च न्यायालय ने मामले में ब्रिटेन में रहने वाले हिंदुजा बंधुओं -श्रीचंद, गोपीचंद और प्रकाश हिंदुजा- को बोफोर्स तोप सौदे में भ्रष्टाचार के कथित आरोपों से बरी कर दिया।
सुरजेवाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाते हुए कहा कि मोदी की अगुवाई में भाजपा सरकार के साजिशकर्ता जनता का ध्यान असली मुद्दों से हटाने के लिए बोफोर्स मसले को दोबारा उठाकर ओछी राजनीति कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि महान्यायवादी केके वेणुगोपाल ने भी अपने पत्र में कहा है कि मामले में कोई साक्ष्य व सच्चाई नहीं है। स्वीडन के हथियार विनिर्माता से 155 एमएम हॉवित्जर की खरीद में रिश्वत के आरोपों को लेकर राजीव गांधी की सरकार में भारी हंगामा मचा था।
सीबीआई ने 22 जनवरी 1990 को एबी बोफोर्स के अध्यक्ष मार्टिन अर्डेबो, कथित बिचौलिया विन चड्ढा और हिंदुजा बंधुओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता व भ्रष्टाचार रोधी अधिनियम की धाराओं के तहत आपराधिक साजिश व धोखाधड़ी को लेकर मामला दर्ज किया था।