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भगवान शिव की आराधना क्यों और कैसे करें? - Sabguru News
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भगवान शिव की आराधना क्यों और कैसे करें?

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भगवान शिव की आराधना क्यों और कैसे करें?

सबगुरु न्यूज। देवगुरु बृहस्पति ने भगवान शिव की आराधना कर देवताओं के गुरु बनने का पद पाया तो वहीं चंद्रमा शिव भक्ति कर रोहिणी प्रेम के श्राप से उत्पन्न क्षयरोग को दूर कर के यशस्वी बने, इसी तरह राहु केतु वरदान पाकर संसार में ग्रहों के रूप में स्थापित हुए। भगवान विष्णु ने शिव भक्ति के सुदर्शन चक्र प्राप्त किया। देव ने असुरों ने शिव भक्ति से नाना प्रकार के वरदान प्राप्त कर अपना कल्याण किया।

भगवान् शिव तो जल से ही तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं फिर भी हमारे ऋषि-मुनियों विद्वानों ने अपने सवत ध्यान साधना से मानव सभ्यता को निवृत्त कर दिया। वेद पुराण उपनिषदों में शिव के विशेष पूजन से कल्याण का मार्ग सशक्त करने हेतु जानकारी दी है। शिवपुराण के अनुसार जो प्राणी शिव पूजन निम्न प्रकार करता है उसे विशेष फलों की प्राप्ति होती है।

जलधारा

भगवान शिव जलधारा से ही शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। जो प्राणी भगवान शिव को जल धारा अर्पित करते हैं वे कल्याण व मोक्ष के भागी बनते हैं। विशेष रूप से जो व्यक्ति ज्वर से ज्यादा पीड़ित होकर प्रलय करता है उस की शांति हेतु जलधारा शिव को अर्पित करनी चाहिए। जलधारा शत रूद्री मंत्र से। रुद्री के 11 पाठों से रूद्र मंत्रों के जाप से, पुरुष सूक्तों से छह ॠण लेने वाले रुद्रसूक्त से महामृत्युंजय मंत्र से, गायत्री मंत्र से अथवा शिव के शास्त्रोक्तनामों से जलधारा अर्पण करनी चाहिए। सुख व संतान की वृद्धि हेतु जलधारा पूजन उत्तम माना गया है।

घी की धारा

जो प्राणी निर्मल मन से भगवान के घी की धारा अर्पित करते हैं वह निम्न फल पाते हैं
1 वंश विस्तार: यदि वंश रुका हुआ हो शिव के सहस्त्रनामों से घी की धारा करनी चाहिए।
2 प्रमेह रोग : दूर करने के लिए दस हज़ार मंत्रों के साथ घी की धारा की जाए तू प्रमेह रोग की शांति होती है।
3 नपुसंकता : दूर करने हेतु ही भगवान शिव के घी की धारा तथा ब्राह्मणों को भोजन कराने से लाभ मिलता है।

दूध की धारा

1 उन्नत बुद्धि : जिस जातक की बुद्धि जड़ हो या बुद्धि काम नहीं कर रही हो उसे भगवान शिव के शर्करा मिश्रीत दूध अर्पण करना चाहिए फिर से 10 हजारों मंत्रों के साथ दूध धारा करने से बुद्धि जड़ हो उन्नत हो जाती है।

2 प्रेम वृद्धि के लिए : जिस घर के कलह बहुत रहती हो, दुख, आपस में वैमनस्य रहता है, प्रेम की कमी आ जाती है। ऐसे जातकों को चाहिए कि भगवान शिव के शक्कर में दूध अर्पित करें या तथा दूध धारा करवाएं। दांपत्य जीवन मे कटुता भी प्रेम रूप में बदल जाएगी।

गंगा जल की धारा

भगवान शिव के गंगा जल से धारा भाग्य और मोक्ष दोनों को प्रदान करने वाली होती है। भगवान शिव के सुगंधित तेल से पूजा करने पर भोगो में वृद्धि होती है। उस प्राणी के संसारिक भौतिक सुख बढ़ जाते हैं। जो व्यक्ति राजक्षमा रोग से पीड़ित हो यदि वह भगवान शिव की मधु से पूजा करते हैं तो मुझसे निसंदेह उसका रोग दूर हो जाता है।

इन सभी धाराओं को महामृत्युंजय मंत्र के साथ चढ़ानी चाहिए। दस हजार मंत्रों का जप विधान उत्तम माना गया है। तथा 11 ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।

इन धाराओं के अतिरिक्त भगवान शिव के निम्न वस्तुओं चढ़ाने से नाना प्रकार के फलों की प्राप्ति होती हैं।

चावल

भगवान शिव के रूद्र प्रधान मंत्रो से पूजा कर उन पर चावल समर्पित करें तो निसंदेह उस व्यक्ति के घर को लक्ष्मी देख लेती है तथा दिन दूनी रात चौगुनी गति से वह व्यक्ति धनवान हो जाता है।

तिल

भगवान शिव के एक लाख तिल चढ़ाने से बड़े से बडे पातकों का नाश हो जाता है ।जो व्यक्ति संकट व बाधाओं से घिरे हो तो उन्हें भगवान के लिए अर्पित करना चाहिए।

गेहूं

भगवान शिव के नियमित रूप से गेहूं से बने पकवान का भोग लगाने से संतान वृद्धि होती है।

मूंग

भगवान शिव के नियमित रूप से मूंग अर्पित करके पूजा की जाती है तो निसंदेह उसी प्राणी के सुख हो में वृद्धि होती है। दुखी हो तो उसे सुख प्राप्त होता है ।

अरहर

के पत्तों से भगवान शिव का श्रृंगार व पूजन करने से व्यक्ति को नाना प्रकार के सुख तथा संपूर्ण फलों की प्राप्ति होती है।

सौजन्य : भंवरलाल