अजमेर। नागरिक सुरक्षा विभाग में आरटीआई को लेकर अतिरिक्त जिला कलक्टर के दो आदेश इन दिनों जबरदस्त चर्चा का विषय बने हुए हैं।
पहले आदेश में विभाग से संबंधित जानकारी आरटीआई में मांगने को ‘गुनाह’ घोषित किया गया था। मामला चर्चा में आते ही उन्होंने तत्काल दूसरा आदेश जारी कर पहले वाले आदेश को रद्द कर दिया। पहले आदेश निकालने और बाद में उसे रद्द किए जाने को लेकर चर्चा का बाजार गरम है।
नागरिकों की सुरक्षा का दम भरने वाले सिविल डिफेंस की अजमेर ईकाई का प्रभार अतिरिक्त कलक्टर के जिम्मे दिया गया है। उन्हीं के निर्देशन में विभाग की गतिविधियां संचालित होती हैं।
बतादें कि 8 जनवरी को स्वयंसेवकों के ड्यूटी संबंधी जारी आदेश के बिंदु संख्या 2 में यह लिखा गया था कि ड्यूटी अवधि को पूर्ण माह तक संपादित नहीं करने, राजकार्य में अनावश्यक बाधा उत्पन्न करने, सूचना के अधिकार के तहत अनावश्यक सूचनाएं मांगकर कार्यालय का समय एवं श्रम व्यर्थ कर संगठन की छवि को क्षति पहुंचाने वाले स्वयंसेवकों को ड्यूटी प्रक्रिया से बाहर किया जाएगा।
इस बीच इसी आदेश को लेकर सिविल डिफेंस के ही एक स्वयंसेवक ने आईटीआई के जरिए सवालों की झडी लगा दी। उसने अपने ही विभाग से सूचना मांगी है कि उसे ऐसे स्वयंसेवकों की सूची उपलब्ध करवाई जाए जिन्होंने सूचना के अधिकार के तहत विभाग से अनावश्यक सूचनाएं मांगी हों, जिससे विभाग को श्रम करना पडा हो, छवि को क्षति पहुंची हो और राजकार्य में बाधा की स्थिति बनाई हो। साथ ही इस बाबत भी जानकारी चाही गई है कि सूचना के अधिकार के तहत सूचना मांग ने वाले स्वयं सेवकों को ड्यूटी से बाहर किए जाने संबंधी नियम कब लागू किया गया। कब इसका नोटिफिकेशन जारी किया गया।
कयास लगाए जा रहे हैं कि इस आरटीआई के लगते ही अतिरिक्त कलेक्टर ने आनन फानन 7 फरवरी को जारी ड्यूटी संबंधी निर्देशों से बिंदु संख्या दो को विलोपित किए जाने बाबत आदेश जारी कर उसे विभाग के बाहर लगे नोटिस बोर्ड पर चस्पा करवा दिया।
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