नई दिल्ली। राजधानी की एक निचली अदालत ने आईएनएक्स मीडिया से जुड़े काले धन को वैध करने के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदम्बरम के पुत्र कार्ति चिदम्बरम को एक दिन के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो की हिरासत में भेज दिया।
विशेष न्यायाधीश सुमीत आनंद ने बुधवार को दोनों पक्षों की लंबी जिरह के बाद कार्ति को एक दिन के लिए सीबीआई की हिरासत में भेजना का आदेश दिया। सीबीआई के वकील ने जहां अदालत को दलील दी कि कार्ति जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, वहीं जूनियर चिदम्बरम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इसे राजनीति से प्रेरित मामला बताया।
सीबीआई ने कार्ति को लंदन से चेन्नई हवाई अड्डे पर सुबह उतरते ही हिरासत में ले लिया था। कुछ देर हवाईअड्डे पर ही पूछताछ किए जाने के बाद कार्ति को गिरफ्तार कर लिया गया था। सीबीआई कार्ति को चेन्नई से दिल्ली मुख्यालय लेकर आई और शाम को उसने उन्हें पटियाला हाउस अदालत में विशेष जज के समक्ष पेश किया।
सीबीआई ने कार्ति के लिए 15 दिनों की पुलिस हिरासत मांगी थी, लेकिन उसे फिलहाल केवल एक दिन की मोहलत ही मिल सकी।
अदालत में सुनवाई शुरू होने से पहले सिंघवी ने कार्ति से अकेले में बातचीत की मोहलत मांगी, जिसे जज ने स्वीकार कर लिया। श्री सिंघवी को कार्ति से अकेले में बातचीत के लिए महज 10 मिनट का समय मिला। उसके बाद सुनवाई शुरू हुई।
पिछले वर्ष 15 मई को सीबीआई ने कार्ति के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र रचने, धोखाधड़ी, भ्रष्ट और अवैध काम के लिए धन लेने, सरकारी कर्मचारी को निर्णय बदलने के लिए प्रभावित करने और आपराधिक कदाचार के मामले दर्ज किए थे।
कार्ति चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने कथित रूप से मुम्बई के आईएनएक्स मीडिया (अब 9एक्स मीडिया) को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से हरी झंडी दिलाने के नाम पर 3.5 करोड़ रुपए लिये थे। उस वक्त कार्ति के पिता पी चिदम्बरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे। आईएनएक्स मीडिया को तब इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी संचालित कर रहे थे। ये दोनों शीना बोरा हत्याकांड मामले में भी आरोपी हैं।
उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले ही दिल्ली की एक अदालत ने कार्ति के चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) एस भास्कररमन को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। भास्कररमन को भी आईएनएक्स मीडिया से जुड़े काले धन को वैध करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
इस बीच ऐसी खबर है कि इंद्राणी मुखर्जी ने सीबीआई को पूछताछ के दौरान बताया था कि कार्ति ने एफआईपीबी की मंजूरी के लिए करीब साढ़े छह करोड़ रुपए की मांग की थी। समझा जाता है कि सीबीआई ने इसी बयान को आधार बनाकर कार्ति को गिरफ्तार किया है।