नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मानव तस्करी (निषेध, संरक्षण एवं पुनर्वास) विधेयक 2018 को संसद में पेश करने की मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया।
बैठक के बाद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि विधेयक में मानव तस्करी में किसी तरह से लिप्त रहने वाले और इसमें सहयोग करने वाले व्यक्ति को कम से कम 10 वर्ष के कारावास तथा एक लाख रुपए से अधिक के दंड का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने बताया कि यह विधेयक संसद के इसी सत्र में पेश किया जाएगा। इस विधेयक से मानव तस्करी से निपटने में मदद मिलेगी और मानव तस्करी के शिकार लोगों को समय सीमा के भीतर उचित मदद दी जा सकेगी और उनका पुनर्वास किया जा सकेगा।
विधेयक में मानव तस्करी के सभी रुपों बंधुआ मजदूरी, भीख मंगवाना, जबरदस्ती मादक द्रव्यों के सेवन कराना तथा व्यस्क बनाने के लिए दवा आदि देना भी शामिल किया गया है। विधेयक में विवाह के लिये बंधक बनाना या विवाह नाम पर शारीरिक शोषण करना भी शामिल है।
विधेयक में मानव तस्करी के मामलों को एक वर्ष के भीतर निपटाना आवश्यक बनाया गया है। पीड़ित व्यक्ति को 30 दिन के भीतर अंतिरम राहत दी जाएगी और 60 दिन के भीतर पूरी राहत मिलेगी। विधेयक में एक कोष बनाने का भी प्रावधान किया गया है जिससे पीडितों के लिए कल्याणकारी कार्यक्रम चलाए जाएगें।
मानव तस्करी से संबंधित मामलों के जल्दी निपटारे के लिए जिला स्तर पर विशेष अदालतें बनाई जाएगीं। इसके अलावा राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तर पर एक प्रणाली तैयार होगी। मृह मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय जांच एजेंसी में एक मानव तस्करीरोधी प्रकोष्ठ का गठन होगा।