नई दिल्ली। सरकार ने अग्रिम मोर्चों पर दशकों से पुराने हथियारों से लड़ रहे जवानों को अत्याधुनिक हथियारों से लैस करने की दिशा में बड़ा और महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए 7607 करोड़ रूपए की लागत से 41 हजार लाइट मशीन गन और साढे तीन लाख से भी अधिक कारबाइन की खरीद को बुधवार को मंजूरी दे दी।
रक्षा सूत्रों के अनुसार रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में कुल 9 हजार 435 करोड़ रूपये के रक्षा सौदों पर मुहर लगाई गई। इनमें मशीन गन और कारबाइन के साथ-साथ उच्च क्षमता के रेडियो सेट और तटरक्षक बल के लिए दो प्रदूषण नियंत्रण पोतों की खरीद को भी हरी झंडी दिखाई गई।
दरअसल अग्रिम मोर्चों पर तैनात जवान दशकों से पुराने जमाने के हथियारों से दुश्मन के साथ दो-दो हाथ कर रहे थे। विशेष रूप से सीमापार से आने वाले घुसपैठियों तथा आतंकवादियों से लड़ाई में जवानों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही थी। जवानों के अत्याधुनिक व्यक्तिगत हथियारों तथा संचार उपकरणों से लैस होने के बाद उनकी लड़ने की क्षमता बढेगी तथा उनका आत्मविश्वास भी बढेगा।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि सीमाओं पर तैनात जवानों की तात्कालिक जरूरतों को देखते हुए विभिन्न अभियानों के लिए सैनिकों के व्यक्तिगत हथियारों की खरीद फास्ट ट्रैक आधार पर की जायेगी। आज जिन हथियारों की खरीद को मंजूरी दी गई उनमें से 75 प्रतिशत देश से ही ‘बॉय एंड मेक इंडियन’ श्रेणी के तहत खरीदे जाएंगे। इससे मोदी सरकार की मेक इन इंडिया योजना को भी बढावा मिलेगा।
सेनाओं के लिए 4607 करोड़ रूपए की लागत से साढे तीन लाख से अधिक कारबाइन और 3000 करोड़ रूपए की लागत से 41 हजार लाइट मशीन गन खरीदी जाएंगी। इनमें से 75 प्रतिशत घरेलू कंपनियों से तथा बाकी बची आयुध फैक्ट्रियों से खरीदी जाएंगी। इसमें उनकी उत्पादन क्षमता का पूरा दोहन किया जाएगा साथ ही छोटे हथियारों के क्षेत्र में उन्हें प्रौद्योगिकी के मोर्चें पर भी आत्मनिर्भर बनाना है।
अभी तीनों सेनाओं के जवान दशकों से चले आ रहे छोटे हथियारों जैसे असाल्ट रायफल, कारबाइन और लाइट मशीन गनों का इस्तेमाल कर रहे थे। विशेष रूप से सीमाओं पर तैनात तथा आतंकवाद रोधी अभियानों में जवानों के पास अत्याधुनिक हथियारों की कमी चिंता का सबब बना हुआ था। सरकार ने जवानों की इन बुनियादी जरूरतों को पहचानते हुए इसे प्राथमिकता के तौर पर पूरा करने की बात कही थी।
डीएसी ने सेना तथा वायु सेना के जवानों के लिए 1092 करोड रूपए की लागत से उच्च क्षमता के अत्याधुनिक रेडियो सेट की खरीद को भी मंजूरी दी। ये रेडियो सेट बॉय इंडियन श्रेणी के तहत खरीदे जायेंगे। इससे मोर्चों पर तैनात जवानों को सटीक और विश्वसनीय संचार उपकरणो से लैस किया जा सकेगा जिनकी बैंडविड्थ भी अधिक होगी और उनका संपर्क कर दायरा तथा फ्रीकवेंसी बढ जाएगी।
पूर्वी तट तथा द्वीपीय क्षेत्रों में तटरक्षक बल के लिए प्रदूषण नियंत्रण के उपायों के तहत दो प्रदूषण नियंत्रण पोत की खरीद को भी हरी झंडी दिखाई गई। ये पोत भी भारतीय शिपयार्डों में बनाए जाएंगे तथा इन पर लगभग 673 करोड रूपए की लागत आने का अनुमान है। ये पोत प्रदूषण नियंत्रण कार्य के साथ साथ गश्त, तलाशी और बचाव अभियान में भी योगदान करेंगे।