अगरतला। प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी का जादू त्रिपुरा पर ऐसा चला कि वाम दलों का 25 साल पुराना गढ़ ध्वस्त हो गया और कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया।
राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा की 59 सीटों के चुनाव परिणामों और रुझानों से लगभग साफ है कि पिछले विधानसभा चुनाव में एक सीट भी नहीं जीत सकी भाजपा अकेले सरकार बनाने की स्थिति में आ गई है। उसे अपनी सहयोगी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट आफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के साथ मिलकर विधानसभा में दो तिहाई बहुमत मिलना तय लग रहा है।
विधानसभा में पहली बार खाता खोलने वाली भाजपा 17 सीटें जीत चुकी है तथा 18 पर उसके उम्मीदवार आगे चल रहे हैं जिससे उसे अकेले पूर्ण बहुमत मिलता दिख रहा है। आईपीएफटी ने अब तक छह सीटें जीती हैं और दाे पर उसके उम्मीदवार आगे चल रहे हैं।
पिछले लगातार 25 साल से सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) मात्र 16 सीटों पर सिकुड़ने जा रही है। उसने अब तक आठ सीटें जीती हैं और मुख्यमंत्री माणिक सरकार समेत उसके आठ उम्मीदवार आगे हैं। पिछली बार 10 सीटें जीतने वाली कांग्रेस को इस बार एक भी सीट मिलती नहीं दिख रही है।
पिछले चुनावों में मात्र डेढ़ प्रतिशत वोट हासिल करने वाली भाजपा ने इस बार 42 प्रतिशत से अधिक मत हासिल किया है। मत प्रतिशत के मामले में माकपा उससे कुछ आगे जरूर है लेकिन भाजपा और उसकी सहयोगी दल को मिले मतों का प्रतिशत 50 से अधिक है।
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