लखनऊ। आपसी सुलह समझौते से अयोध्या में रामजन्मभूमि विवाद का हल निकालने की मुहिम में जुटे आध्यात्मिक गुरू और आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर को मौलाना सलमान नदवी के खुद को इस मामले से अलग करने के फैेसले से झटका लगा है।
श्रीश्री ने अयोध्या विवाद के समाधान के लिए आपसी भाईचारे का माहौल बनाने की पहल की थी जिसमें उन्हे मौलाना नदवी का भरपूर साथ मिला था। मौलाना मुस्लिमों की तरफ से माहौल बनाने की कोशिश कर रहे थे हालांकि उनकी इस पहल से खफा पर्सनल ला बोर्ड ने उन्हे बर्खास्त कर दिया था।
नदवी ने कल कहा था कि अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद उच्चतम न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है और हर किसी को न्यायालय के फैसले का इंतजार करना चाहिए।
गौरतलब है कि मौलाना नदवी ने दो रोज पहले ही लखनऊ में हिन्दू मुस्लिम नेताओं की बैठक की तारीख 28 मार्च तय की थी जिसमे दोनो पक्ष सुलह समझौते से अयोध्या विवाद का समाधान खोज सके। पिछली एक मार्च को लखनऊ में श्रीश्री और मौलाना के बीच हुई बैठक में सेवानिवृत्त नौकरशाह अनीस अंसारी भी मौजूद थे।
अंसारी ने कहा कि मौलाना का इस मामले से कदम वापस खींचना श्रीश्री के प्रयासों के लिए करारा झटका है। मैने कल श्रीश्री से टेलीफोन पर बात की थी। वह काफी व्यथित थे कि 24 घंटे के भीतर ही मौलाना अपने वादे से मुकर गए।
उन्होने कहा कि मौलाना के फैसले से मै भी अचंभित हूं। उनके निर्णय के बाद मेरी अभी उनसे बात नहीं हो सकी है। मैने मौलाना से संपर्क करने के लिये फोन किया था मगर बात नही हो सकी।
मौलाना नदवी ने कल कहा था कि मै राम मंदिर मामले से खुद को अलग करता हूं। हमें अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए। मैं आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड में वापसी करना चाहूंगा हालांकि शर्त है कि असदुद्दीन ओवैसी और कमाल फारूखी समेत चार लोगों को बोर्ड से निकाल दिया जाए।
गौरतलब है कि एक मार्च को श्रीश्री ने अयोध्या विवाद का हल मध्यस्थता के जरिये निकालने के लिए नदवी से लखनऊ में मुलाकात की थी। बैठक के बाद श्रीश्री ने कहा था हमारी कोशिश रंग ला रही है। हम अपने प्रयास जारी रखेंगे। राम मंदिर के लिए दोनों समुदायों के बीच प्रेम और सौहार्द बनाए रखने की हर मुमकिन कोशिश की जाएगी और दोनाें समुदायों की रजामंदी से राममंदिर के निर्माण का रास्ता निकलेगा।
इससे पहले फरवरी में अयोध्या में विवादित भूमि से मस्जिद को हटाकर अलग बनाए जाने के मौलाना नदवी के बयान से खफा मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था।