परीक्षित मिश्रा-सिरोही। सिरोही जिले में सरकार की ओर से दी गई सुविधा का जबरदस्त दुरुपयोग करने का मामला सामने आया है। एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट के नाम पर अनुसूचित जाति के लोगों की खेती की जमीनें सस्ते में रुपांतरित करके उन्हें बेच दिया गया है।
यह मामला सामने आने के बाद प्रशासन ऐसी जमीनों को खरीदने वालों लोगों को झटका देने के मूड में है। राजस्थान टीनेंसी एक्ट के तहत ऐसी सभी जमीनों को टीनेंसी एक्ट की धारा 14 के तहत बिलानाम भूमि घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। वहीं जो जमीन अनुसूचित जाति के लोगों की नहीं है उनके लिए निर्धारित समय सीमा निकलने का इंतजार किया जाएगा।
-यह है पूरा मामला
केन्द्र एवं राजस्थान सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित उद्योगों के विकास के लिए एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने की योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में सस्ते दामों पर खेती की भूमि के औद्योगिक उपयोग के लिए रूपांतरित करने की व्यवस्था थी।
इस योजना के तहत जमीनों को रुपांतरित करने का शुल्क इतना कम था कि सामान्य योजना में भू-रुपांतरण राशि का पांच से दस प्रतिशत तक ही रूपांतरण शुल्क लिया जा रहा था। इस तरह से रूपांतरित भूमि का उपयोग सिर्फ एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए ही करना था।
लेकिन जिले की पांचो तहसीलों में इस तरह से रुपांतरित करवाई गई भूमि का उपयोग एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने के लिए नहीं किया गया। इनमें अधिकांश भूमियों का रूपांतरण करवाकर बेच दिया गया। कुछ पडत पडी हुई हैं और आधा दर्जन के लगभग भूमि पर अनार या अन्य फसल लगाई हुई है।
-दो साल मंे लगाना था उद्योग, मियाद बढाई
एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट के लिए रूपांतरित करवाई गई भूमि पर सरकार द्वारा पहले दो वर्ष में उद्योग स्थापित करना था, लेकिन हाल ही में सरकार ने इसकी मियाद बढ़ाकर पांच वर्ष कर दी है।
भू-रूपांतरण के पांच वर्ष तक यदि ऐसी भूमि पर एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना नहीं की जाएगी तो इसके कन्वर्जन को निरस्त करने की प्रकिया अपनाई जाएगी।
-एससी-एसटी की जमीनें हथियाने का हथियार बनी योजना
जिले में जो स्थिति सामने आई है, उससे एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट के तहत भूमि को रूपांतरित करवाने की योजना जिले के अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों की कृषि भूमि को हथियाने का एक हथियार बनाया गया है।
सिरोही में पिछले तीन सालों में इस योजना के तहत 133 भू-उपयोग परिवर्तन हुए। इनमें से 89 प्रकरणों में तो भूमि का बेच दिया गया है या उनका उपयोग नहीं किया गया है। बेची गई भूमि में भी सबसे ज्यादा भूमि अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों की है।
-सबसे ज्यादा गडबडी शिवगंज और रेवदर में
एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने के नाम पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों कृषि भूमि को सस्ते दामों में रूपांतरित करवाकर उन्हें बेच देने के मामले में सबसे आगे शिवगंज रहा। यहां पर पिछले तीन सालों में एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने के लिए 60 भू-रूपांतरण करवाए गए इनमें से 56 भूमियों को अन्य व्यक्तियों को बेच दिया गया है।
इसी तरह सिरोही उपखण्ड में 12 प्रकरणों में इस योजना के तहत भू-रूपांतरण करवाया 9 को बेचा या खाली छोड दिया गया। रेवदर तहसील में 23 भूमि-रूपांतरण हुए जिसमें 19 को बेच दियाग या पडत रखा गया। पिण्डवाडा में 37 रूपांतरण हुए 4 मामले में बेचान हुआ है, शेष भूमि पडत है।
जो भूमि बेची गई है उनमें नब्बे प्रतिशत अनुसूचित जाति जनजाति की है। राजस्थान टीनेंसी एक्ट की धारा 42-बी के तहत सामान्य वर्ग का कोई भी व्यक्ति अनुसूचित जाति-जनजाति के व्यक्ति की कृषि भूमि को नहीं खरीद सकता है। यदि खरीदता है तो धारा 175 के तहत इस भूमि को बिलानाम भूमि घोषित किया जाता है।
-इनका कहना है…
जिले में एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट के लिए भूमि रूपांतरित करवाकर उसे बेचने के कई सारे प्रकरण सामने आए हैं। शिवगंज और रेवदर में सबसे ज्यादा मामले हैं। अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों की जमीनें भी खरीद ली है। ऐसी भूमियों को बिलानाम घोषित करने के लिए कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। सामान्य वर्ग भूमि पर उद्योग स्थापित नहीं किया गया है तो उनके लिए निर्धारित समय सीमा का इंतजार करके नोटिस दिया जाएगा।
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